Edited By Sunita sarangal, Updated: 11 Oct, 2024 11:49 AM
विधानसभा चुनाव के शुरू होने पर गुलाम नबी आजाद ने प्रचार से स्वयं को यह कहकर दूर रखा कि उनकी सेहत ठीक नहीं है परंतु बाद में वह पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव मैदान में उतरे।
जम्मू डेस्क: कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री (Former CM) गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस छोड़ने के बाद डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (Democratic Progressive Azad Party) का गठन किया ताकि जम्मू-कश्मीर की सियासत (Jammu Kashmir Politics) में अपना प्रभाव जमा सके। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव (VidhanSabha Elections) में पार्टी की ओर से खड़े किए गए उम्मीदवार (Candidates) बुरी तरह से हार गए।
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जब लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) हुए थे तो उस समय भी आजाद की पार्टी चुनाव में ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा पाई। अब विधानसभा चुनाव में 23 स्थान पर उम्मीदवार उतारे गए तो उन्हें भी जो वोट मिले उनमें कई स्थानों पर नोटा से भी कम थे। आजाद के वह क्षेत्र जहां से वो संबंध रखते हैं, डोडा जिले में विधानसभा चुनाव में कुछ प्रतिशत वोट हासिल हुए। इसी तरह राजौरी (Rajouri) जिले समेत कश्मीर (Kashmir) में भी अधिकांश स्थानों पर उम्मीदवार बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए। हालांकि यह उम्मीद जताई जा रही थी कि गुलाम नबी आजाद की पार्टी विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएगी और अगर पर्याप्त संख्या में सीटें आती हैं तो सरकार बनाने में भी अहम भूमिका होगी लेकिन ऐसा करने में पार्टी सफल नहीं रही।
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विधानसभा चुनाव के शुरू होने पर गुलाम नबी आजाद ने प्रचार से स्वयं को यह कहकर दूर रखा कि उनकी सेहत ठीक नहीं है परंतु बाद में वह पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन कश्मीर के साथ जम्मू की सीटों पर भी उनके उम्मीदवार बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाए। आजाद को उस समय भी मुश्किल शुरू हो गई थी जब कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए नेता एक-एक करके दामन छोड़ने लगे और वापस कांग्रेस अथवा दूसरे दलों में चले गए। जिस ढंग से डैमोक्रेटिक प्रोग्रैसिव आजाद पार्टी के उम्मीदवारों ने प्रदर्शन किया है उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि गुलाम नबी आजाद का राजनीतिक जीवन अब समाप्ति की ओर है। आने वाले दिनों में उनकी पार्टी निकाय अथवा पंचायत चुनाव में कुछ करिश्मा कर दिखाए, यह समय ही बताएगा।
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