Ladakh Protest: भीषण झड़पों के बाद हाल बेहाल, जानें अब तक के हालात

Edited By VANSH Sharma, Updated: 25 Sep, 2025 04:21 PM

know the current situation of ladakh protest

हिंसा प्रभावित लेह में गुरुवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा सख्ती से कर्फ्यू लागू किए जाने के दौरान कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया।

लेह (मीर आफ़ताब): हिंसा प्रभावित लेह में गुरुवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा सख्ती से कर्फ्यू लागू किए जाने के दौरान कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया। लेह में एक दिन पहले हुई व्यापक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) द्वारा राज्य का दर्जा और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर केंद्र के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए आहूत बंद बुधवार को हिंसा, आगजनी और सड़कों पर झड़पों में बदल गया।

कारगिल सहित अन्य प्रमुख शहरों में भी पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में बंद का आह्वान किया था, जो भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे।

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लेह शहर में भीषण झड़पों के बाद वांगचुक ने अपनी दो हफ्तों से चल रही भूख हड़ताल समाप्त कर दी। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और कई वाहनों में आग लगा दी थी तथा हिल काउंसिल मुख्यालय में तोड़फोड़ की थी, जिसके बाद शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

अधिकारी ने बताया कि हिंसा में शामिल होने के आरोप में रातभर में लगभग 50 लोगों को हिरासत में लिया गया। घायलों में तीन नेपाली नागरिक भी शामिल हैं। पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या हिंसा के पीछे विदेशी हाथ हो सकता है।

एलएबी और केडीए पिछले चार वर्षों से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने पहले भी केंद्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत की है। अगला दौर 6 अक्टूबर को निर्धारित है। अधिकारियों ने बताया कि कारगिल, ज़ांस्कर, नुब्रा, पदम, चांगतांग, द्रास और लामायुरु में दंगा-रोधी उपकरणों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई है।

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कारगिल के ज़िला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने पूरे ज़िले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी की है, जिसके तहत सक्षम प्राधिकारी की पूर्व लिखित अनुमति के बिना पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने, जुलूस निकालने या प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

बिना अनुमति के लाउडस्पीकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों या वाहनों पर लगे जनसंवाद प्रणाली के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि इसके अलावा कोई भी व्यक्ति मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ऐसा सार्वजनिक बयान, भाषण या घोषणा नहीं करेगा जिससे सार्वजनिक शांति भंग हो, दुश्मनी फैले या ज़िले में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़े।

लेह में स्थिति तब बिगड़ी जब 10 सितंबर से 35 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम को बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद एलएबी की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया।

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केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि भीड़ की हिंसा कार्यकर्ता वांगचुक के भड़काऊ बयानों से प्रेरित थी। उनका कहना था कि कुछ राजनीति से प्रेरित लोग सरकार और लद्दाखी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत से खुश नहीं थे। गृह मंत्रालय ने बुधवार रात एक बयान में कहा कि सरकार पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा उपाय प्रदान करके लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं के प्रति प्रतिबद्ध है।

उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने घटनाओं को हृदयविदारक बताते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन जो हुआ वह अचानक नहीं था, बल्कि एक साजिश का नतीजा था। गुप्ता ने कहा कि अधिक हताहतों से बचने के लिए एहतियाती कदम के तौर पर कर्फ्यू लगाया गया है।

एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, वांगचुक ने कहा कि 72 वर्षीय त्सेरिंग अंगचुक और 60 वर्षीय ताशी डोल्मा का अस्पताल में भर्ती होना ही संभवतः विरोध प्रदर्शन का तात्कालिक कारण था। स्थिति तेज़ी से बिगड़ती देख, उन्होंने अपील की और घोषणा की कि वे अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं।

उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे ही हितों को नुकसान पहुंचेगा और हालात और बिगड़ेंगे। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते।

वांगचुक ने कहा कि यह लद्दाख और उनके लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे दुखद दिन है क्योंकि पिछले पांच वर्षों से वे जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह शांतिपूर्ण था। हमने पांच बार भूख हड़ताल की और लेह से दिल्ली तक पैदल यात्रा की, लेकिन आज हिंसा और आगजनी की घटनाओं के कारण हम शांति के अपने संदेश को विफल होते हुए देख रहे हैं।

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