Edited By VANSH Sharma, Updated: 22 Aug, 2025 05:26 PM

आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।
जम्मू डेस्क (तनवीर सिंह): आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की तीन-न्यायाधीशों की बेंच ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त नियम लागू करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश पूरे देश में लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें:
- पकड़े गए कुत्तों को छोड़ने से पहले उनकी नसबंदी और एंटी-रेबीज़ टीकाकरण अनिवार्य होगा।
- आक्रामक या हिंसक कुत्तों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाएगा; उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा।
- सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक होगी।
- नगर निगम को कुत्तों के लिए तयशुदा फीडिंग प्वाइंट बनाने होंगे और वहां नोटिस बोर्ड लगाना होगा।
- तयशुदा स्थानों के अलावा अन्य जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाने वालों पर कार्रवाई होगी और इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा।
- कुत्ते गोद लेने वालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि गोद लिए गए कुत्ते दोबारा सड़कों पर न आएं।
- याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता और एनजीओ पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जो शेल्टर होम की सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा।
जम्मू में लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि इससे गली-मोहल्लों में बढ़ते कुत्तों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। लोगों का कहना है कि इस फैसले के बाद कई समस्याओं का समाधान हो सकता है और यह जनता के लिए राहत की खबर है।
हालांकि, कुछ लोगों ने फैसले पर सवाल भी उठाए। उनका कहना है कि आदेश लागू करने से पहले उन स्थानों का निरीक्षण किया जाना चाहिए था, जहां आवारा कुत्तों को खाना खिलाया जाता है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी या परेशानी न हो।
कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जम्मू में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। जहां एक ओर खुशी और राहत का माहौल है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसके सही तरीके से लागू होने को लेकर चिंतित भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह फैसला न केवल लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि आवारा कुत्तों के लिए बेहतर देखभाल और सुविधाओं की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा। अब राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे आदेश का सख्ती से पालन करें।
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