4 पाक सैनिकों के साथ पहाड़ से कूद गया था भारतीय जांबाज, पढ़ें क्या है 'कुत्ता तंगी पहाड़' की पूरी कहानी

Edited By Neetu Bala, Updated: 11 Jul, 2025 05:11 PM

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अब भी कुत्ता तुंगी पहाड़ शहीद सिख रैजिमैंट के सैनिकों को याद करता है।

सुंदरबनी : जो खून गिरा पहाड़ पर वो खून था हिंदुस्तानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी.....ये दर्दनाक पंक्तियां सुनकर हर भारतीय की आंखों में आंसू आ जाते हैं। हाल ही में 26 साल पहले 1999 में पाकिस्तान ने भारत को धोखा देकर और युद्ध के लिए भारत को मजबूर करके कारगिल क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था। इसी तरह 1965 में पाकिस्तान की पठान रैजिमैंट ने धोखे से कुत्ता तुंगी पर्वत पर कब्जा कर लिया था, जो सुंदरबनी शहर से केवल 10 किलोमीटर दूर स्थित है। इस दौरान पाक सेना ने शम्ब सैक्टर पर हमला कर दिया लेकिन भारतीय सेना ने इसका बदला लिया, सबसे पहले यह ऑप्रेशन जुलाई 1965 में भारतीय सेना की मद्रास रैजिमैंट को दिया गया था। लेकिन यह रैजिमैंट सफल नहीं हुई क्योंकि शीर्ष पहाड़ पर पाक पठान सैनिकों ने उन्हें पीछे धकेल दिया।

फिर यह ऑप्रेशन सिखलाई रैजिमैंट को दिया गया और उन्होंने जुलाई 1965 को रात 10 बजे अपना ऑप्रेशन शुरू किया और दिन-रात 24 घंटे में इस ऑप्रेशन को पूरा किया। ट्रैक पर चढ़ना बहुत मुश्किल था क्योंकि पाक सैनिकों ने बड़े पत्थरों और गोलियों से उनका स्वागत किया था लेकिन सिख रैजिमैंट ने बहुत साहस के साथ उनका सामना किया और कुत्ता तुंगी पहाड़ पर कब्जा कर लिया और सभी दुश्मन पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला।

इस दौरान पहाड़ पर दुश्मन का सामना करते हुए जब भारतीय सैनिक का एम्युनिशन खत्म हो गया तो 4 पाक सैनिकों ने सेना के जवान को पकड़ लिया जिसके बाद भारत माता के बहादुर जवान ने चारों पाक रेंजर्स को जोर से अपनी बाजुओं में जकड़ कर पहाड़ से कूद कर अपनी जान कुर्बान की और कुत्ता तुंगी पहाड़ को कब्जा मुक्त कर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। अब भी कुत्ता तुंगी पहाड़ शहीद सिख रैजिमैंट के सैनिकों को याद करता है।

कुत्ता तुंगी पहाड़ पर आज भी सुनाई देती हैं शहीद सैनिकों की आवाजें

उस गांव के लोग और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता अनमोल सांस्कृतिक क्लब सुंदरबनी के अध्यक्ष जोरावर सिंह, सेवानिवृत्त कैप्टन बलवंत सिंह, सेवानिवृत्त कैप्टन जोगिंदर सिंह, मनोज शर्मा, अजय शर्मा ने कहा कि सिखलाई रैजिमैंट के सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान नहीं दिया होता तो आज कुत्ता तुंगी पहाड़ पाक अधिकृत क्षेत्र में होता। कुत्ता तुंगी पहाड़ सिखलाई सैनिकों को याद करके आज भी रोता है जहां खून की नदियां बही थीं। ग्रामीणों ने कहा कि यह कुत्ता तुंगी पहाड़ सिखलाई सैनिकों द्वारा अपने खून से सींच कर आजाद कराया गया था।

स्थानीय लोगों ने बताया कि आज भी 10 से 12 जुलाई के बीच रात को जोर-जोर से शहीद सैनिकों की आवाजें सुनाई देती हैं जिसमें बोले सोनिहाल सत्त श्री अकाल और भारत माता की जय के जयघोष सुनाई देते हैं।

उप-राज्यपाल और रक्षा मंत्री से शहीद स्मारक बनाने की अपील

लोगों ने जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उस क्षेत्र का दौरा करने और प्रशासन को उनकी याद में एक शहीद स्मारक बनाने का आदेश देने का आग्रह किया है ताकि हर साल विजय ऑप्रेशन दिवस मनाया जा सके।

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