Edited By Kamini, Updated: 05 Aug, 2025 11:48 AM

जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बार फिर बड़ी राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है।
जम्मू डेस्क : जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बार फिर बड़ी राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। अब चर्चा इस बात की है कि क्या केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने जा रही है? ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार 5 अगस्त यानी कि आज एक और ऐतिहासिक फैसला लेने की तैयारी में है। इस अटकल को बल तब मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
इसके अलावा मंगलवार को एनडीए संसदीय दल की बैठक भी प्रस्तावित है, जिससे इन अटकलों को और मजबूती मिली है। ये चर्चा इस लिए भी छिड़ गई है क्योंकि 5 अगस्त ही राम मंदिर का शिलान्यास और फिर जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हाटने एवं राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला लिया गया था। गौरतलब है कि इसी दिन वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
क्या बहाल होगा जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा?
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की मांग होती रही है। पीएम मोदी और अमित शाह भी कई बार कह चुके हैं कि "सही समय पर" जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा वापस मिलेगा। अब सवाल यह है क्या वह "सही समय" आ चुका है?
फारूक अब्दुल्ला का बयान बना चर्चा का केंद्र
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार से जवाब मांगा है। उन्होंने 5 अगस्त की पूर्व संध्या पर कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा। अब्दुल्ला ने राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव कराने की भी मांग की और पूछा कि आखिर सरकार जम्मू-कश्मीर की आवाज को संसद में क्यों नहीं सुनने देना चाहती।
राज्य का दर्जा वापस कैसे मिलेगा?
अगर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाना चाहती है, तो इसके लिए संसद में एक संशोधन विधेयक लाना होगा। जैसा कि 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून लाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, वैसे ही अब इस कानून में संशोधन कर पुनः राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। यह प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से पारित होना होगा और फिर राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद लागू किया जाएगा। 5 अगस्त पहले भी 2 ऐतिहासिक फैसलों (राम मंदिर शिलान्यास और अनुच्छेद 370 हटाने) की गवाह रही है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। क्या इस तारीख को जम्मू-कश्मीर के भविष्य से जुड़ा एक और बड़ा ऐलान होने वाला है? इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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