Edited By Neetu Bala, Updated: 15 Dec, 2024 12:19 PM
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में जम्मू संभाग में आतंकी घटनाओं के अलावा आतंकवाद को लेकर रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा अगले वर्ष पंचायत एवं निकाय चुनाव करवाए जाने को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
जम्मू : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 19 दिसम्बर को जम्मू-कश्मीर पर उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा बैठक में शामिल होंगे, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रणनीतियों की समीक्षा करना है। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में जम्मू संभाग में आतंकी घटनाओं के अलावा आतंकवाद को लेकर रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा अगले वर्ष पंचायत एवं निकाय चुनाव करवाए जाने को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 19 दिसम्बर को राष्ट्रीय राजधानी में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि बैठक में मुख्य रूप से महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें जम्मू और कश्मीर की स्थिति पर विशेष जोर दिया जाएगा।
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बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सी.ए.पी.एफ. के महानिदेशक, मुख्य सचिव, जम्मू और कश्मीर के डी.जी.पी. और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है।
यह बैठक लगभग 5 महीने बाद आयोजित की जा रही है, जब शाह ने 16 जून को राष्ट्रीय राजधानी में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य पर इसी तरह की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की थी। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अभिनव तरीकों से आतंकवादियों पर नकेल कसने के लिए प्रतिबद्ध होने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। पिछली बैठक में गृह मंत्री ने सुरक्षा एजैंसियों को कश्मीर घाटी में हासिल की गई सफलताओं को जम्मू संभाग में एक क्षेत्र वर्चस्व योजना और शून्य आतंकवाद योजना के माध्यम से दोहराने का निर्देश दिया था।
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शाह ने पिछली बैठकों में सभी सुरक्षा एजैंसियों को एक मिशन मोड में काम करने और समन्वित तरीके से त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। उन्होंने तब सुरक्षा एजैंसियों के बीच निर्बाध समन्वय, कमजोर क्षेत्रों की पहचान करने और ऐसे क्षेत्रों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर भी जोर दिया था।
आतंकवाद के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति को दोहराते हुए गृह मंत्री ने कई अवसरों पर दोहराया है कि "सरकार जम्मू और कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।"
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