सावन सोमवार: सावन मास में क्यों करते हैं शिव की आराधना, कैसे पूरी होती हैं मनोकामनाएं...पढ़ें पूरी जानकारी

Edited By Neetu Bala, Updated: 13 Jul, 2025 12:36 PM

why do we worship shiva in the month of sawan

सावन में पाठ करने से व्यक्ति की कुण्डली में स्थित कालसर्प योग, पितृदोष, राहु-केतु दोष और शनि के कुप्रभाव भी शांत होते हैं।

बरनाला : सावन का महीना, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है, भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। हिंदू धर्म में इस पूरे महीने को आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य लाभ का समय माना जाता है। इस दौरान पड़ने वाले सभी सोमवार का विशेष महत्व है, क्योंकि सोमवार और सावन दोनों ही भगवान शिव को समर्पित हैं। माना जाता है कि सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है। इस साल सावन में कुल 4 सोमवार पड़ेंगे, जिसमें सावन का पहला सोमवार कल, 14 जुलाई को पड़ रहा है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन मास में भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती के साथ पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थनाएं सुनते हैं। यही कारण है कि इस महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और हर तरफ "हर हर महादेव" के जयकारे गूंजते हैं। यह महीना प्रकृति के हरे-भरे रंग और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है, क्योंकि वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही चारों ओर हरियाली फैल जाती है, जो मन को सुकून देती है।

सावन का महत्व और मान्यताएं

सावन मास का महत्व कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था, तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष का पान कर लिया था। विष के प्रभाव से उनके शरीर में अत्यधिक जलन होने लगी, जिसे शांत करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया। यह घटना सावन मास में हुई थी, इसलिए इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। इसे रुद्राभिषेक कहा जाता है, जिससे शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन मास में ही कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ण की। यही वजह है कि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं।

शिव भक्ति से होती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण

शास्त्रों में वर्णित है कि सावन के महीने में विशेष रूप से सोमवार को भगवान शिव की आराधना करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्रती व्यक्ति को सुख, शांति, संतान, विवाह, धन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि सावन का पहला सोमवार शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

पंडित सूर्यकांत शास्त्री ने बताए सावन व्रत और पाठ के लाभ

बरनाला निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यकांत शास्त्री ने कहा कि सावन मास को शिव आराधना के लिए सबसे उत्तम काल माना गया है। उन्होंने बताया कि जो भक्त पूरी श्रद्धा, नियम और विधिपूर्वक व्रत एवं पाठ करते हैं, उन्हें शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से "रुद्राष्टक", "शिव तांडव स्तोत्र", "महा मृत्युंजय मंत्र" तथा "शिव चालीसा" का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। यह पाठ मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति, आत्मिक बल और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा देने वाले होते हैं। शास्त्री जी के अनुसार सावन में पाठ करने से व्यक्ति की कुण्डली में स्थित कालसर्प योग, पितृदोष, राहु-केतु दोष और शनि के कुप्रभाव भी शांत होते हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यकांत शास्त्री

सावन सोमवार की पूजन विधि:

पंडित सूर्यकांत शास्त्री ने सावन सोमवार की पारंपरिक पूजा विधि भी विस्तार से समझाई:

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थान की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें।

भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

व्रत का संकल्प लें और मन में पवित्रता एवं श्रद्धा बनाए रखें।

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, पंचामृत, शहद, दही, घी आदि से अभिषेक करें।

बेल पत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, अक्षत (चावल), फल व मिठाई अर्पित करें।

दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।

'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

भगवान शिव की आरती करें और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

व्रत के दौरान फलाहार लें और अन्न से परहेज करें।

संध्या समय पुनः पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।

अगले दिन विधिपूर्वक व्रत का पारण करें और गरीबों को अन्न, वस्त्र अथवा दक्षिणा का दान करें।

शिवजी हैं संहारक और कल्याणकारी देव

पंडित शास्त्री ने बताया कि शिव जी को "भोलेनाथ" इसीलिए कहा जाता है क्योंकि वे सहज भाव से अपने भक्तों पर कृपा कर देते हैं। वे त्रिनेत्रधारी, रुद्र रूप धारण करने वाले, लेकिन साथ ही अत्यंत कोमल और दयालु हैं। उनके तांडव से जहां संहार होता है, वहीं उनकी कृपा से पुनः सृष्टि का निर्माण होता है।

महिलाओं और युवतियों के लिए भी अत्यंत फलदायी है व्रत

पंडित सूर्यकांत शास्त्री ने कहा कि कुंवारी कन्याएं यदि सावन सोमवार का व्रत करती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं व्रत करके अपने दांपत्य जीवन को सुखमय बना सकती हैं। शिव-पार्वती को आदर्श दांपत्य का प्रतीक माना गया है।

युवाओं को नशों से दूर रहने की प्रेरणा देता है शिव व्रत

सावन मास के दौरान शिव उपासना युवाओं को संयमित जीवन की प्रेरणा देती है। व्रत रखने और धार्मिक पाठ करने से उनके भीतर अनुशासन, मानसिक शक्ति और नैतिकता का विकास होता है। पंडित सूर्यकांत शास्त्री ने कहा कि शिव की आराधना से नकारात्मक प्रवृत्तियां स्वतः समाप्त होती हैं और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।

श्रद्धा और आस्था का पर्व है सावन

अंत में शास्त्री जी ने कहा कि सावन मास श्रद्धा, आस्था और आत्मिक उन्नति का पर्व है। इस महीने में जितना अधिक साधना और भक्ति की जाए, उतना ही जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने सभी शिवभक्तों को सावन सोमवार के व्रत का विधिवत पालन कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने की मंगलकामना दी।

सावन के सोमवार 2025 की तिथियां:

इस साल सावन के महीने में कुल 4 सोमवार आएंगे, जो इस प्रकार हैं:

* पहला सावन सोमवार: 14 जुलाई 2025

* दूसरा सावन सोमवार: 21 जुलाई 2025

* तीसरा सावन सोमवार: 28 जुलाई 2025

* चौथा सावन सोमवार: 4 अगस्त 2025

सावन का महीना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर होता है। इस दौरान किए गए छोटे से भी धार्मिक कार्य बड़े पुण्य प्रदान करते हैं। इसलिए भक्तों को इस पवित्र मास का लाभ उठाना चाहिए और श्रद्धा भाव से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

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