Edited By Neetu Bala, Updated: 02 Aug, 2025 02:39 PM
श्रीनगर ( मीर आफताब ) : 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई का अंत करते हुए श्रीनगर के सिटी जज अब्दुल बारी की अदालत ने 2008 में रचे गए एक संपत्ति घोटाले में एक विदेशी नागरिक से 34 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में दो लोगों को दोषी ठहराया है।
दोषी व्यक्तियों की पहचान मुख्तार अहमद गुरु और नजीर अहमद गुरु पुत्र गुल्ला गुरु के तौर पर हुई है और अबी करपोरा, नेहरू पार्क, डलगेट, श्रीनगर के निवासी हैं। इन दोनों को एक विदेशी महिला को यह विश्वास दिलाकर धोखाधड़ी वाली संपत्ति का सौदा करने का दोषी पाया गया कि वह कश्मीर में कानूनी रूप से संपत्ति की मालिक हो सकती है।
यह मामला 26 जून, 2010 का है, जब कश्मीर अपराध शाखा ने विदेशी महिला की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, उसने श्रीनगर के गुलाब बाग इलाके में एक मकान और जमीन खरीदने के लिए मुख्तार अहमद गुरु को 34 लाख रुपए दिए थे। हालांकि, मुख्तार ने इस कानूनी तथ्य को छिपाते हुए कि किसी विदेशी नागरिक को जम्मू-कश्मीर में अचल संपत्ति रखने पर प्रतिबंध है, उक्त संपत्ति अपने नाम पर खरीद ली।
पीड़िता, सह-स्वामी होने के भ्रम में, कुछ समय तक मुख्तार के साथ उस घर में रही, लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है। जांच से पता चला कि शिकायतकर्ता 1990 के दशक की शुरुआत में भारत आई थी और 2005 में मुख्तार अहमद गुरु से मिलने के समय गोवा में रह रही थी। उनका रिश्ता पति-पत्नी जैसा घरेलू सांझेदारी में बदल गया। इसी भरोसे का फायदा उठाकर, आरोपी ने उसे उसकी जीवन भर की जमा-पूंजी हड़पने के लिए धोखा दिया।
समाचार एजेंसी कश्मीर न्यूज ट्रस्ट के अनुसार, अपराध शाखा ने अपनी जांच पूरी की और 24 अगस्त, 2010 को सक्षम अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें आरोपों को सही पाया गया। दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, नगर न्यायाधीश अब्दुल बारी ने दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए फैसला सुनाया।
अपने व्यापक और तीखे शब्दों वाले फैसले में, न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि आरोपियों की हरकतें "सोची-समझी विश्वासघात" थीं, जो एक अनजान विदेशी महिला को धोखा देने के एकमात्र इरादे से की गई थीं, जो उनकी बातों पर विश्वास करती थी।
अदालत के आदेश के अनुसार, मुख्तार अहमद गुरु को रणबीर दंड संहिता की धारा 420 के तहत दोषी ठहराया गया है और 5,000 रुपए के जुर्माने के साथ दो साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है व उसके साथी, नजीर अहमद गुरु को अपराध में उकसाने के लिए धारा 109 सहपठित 420 आरपीसी के तहत दोषी ठहराया गया और उसे भी दो साल के साधारण कारावास और 5,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
अदालत ने आगे निर्देश दिया कि जुर्माना अदा न करने की स्थिति में, दोषियों को छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक विकास कुमार ने मामले में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।
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