Edited By Neetu Bala, Updated: 19 Jun, 2025 07:12 PM

इससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
राजौरी ( शिवम ) : राजौरी जिले की सुरम्य क्षेत्र दरहाल में स्थित खोड़ नार जलप्रपात प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत उदाहरण बना हुआ है, जो आज भी पर्यटकों की नजरों से दूर और सरकारी पर्यटन योजनाओं से अछूता है। बुदखनारी पंचायत में स्थित यह जलप्रपात पीर पंजाल पर्वतमाला की गोद में बसा है, जहां घने जंगल, हरे-भरे चरागाह और जैव विविधता इसकी खूबसूरती को और निखारते हैं।
लेकिन विडंबना यह है कि इतनी अद्भुत प्राकृतिक विरासत होने के बावजूद खोड़ नार अब तक सरकारी अनदेखी का शिकार रहा है। यहां तक पहुंचने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं है। पर्यटकों को करीब 6 किलोमीटर का दुर्गम और पथरीला ट्रैक पैदल तय करना पड़ता है, जो बुजुर्गों, बच्चों और आम पर्यटकों के लिए बेहद कठिन है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ताहिर मुस्तफा का कहना है, “खोड़ नार सिर्फ एक झरना नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर है। यदि इसे प्रमोट किया जाए, तो यह दरहाल घाटी की तस्वीर बदल सकता है। यहां के युवाओं में क्षमता है, लेकिन उन्हें अवसर और मंच की आवश्यकता है।”

स्थानीय लोगों की मांग है कि जिला प्रशासन और जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग इस क्षेत्र पर ध्यान दें और खोड़ नार को जम्मू कश्मीर टूरिज्म मैप और अन्य आधिकारिक प्लेटफॉर्म्स पर शामिल किया जाए। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस क्षेत्र को उचित रोड कनेक्टिविटी, साइन बोर्ड, कचरा प्रबंधन और गाइड सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं, तो यह स्थान एक इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में उभर सकता है। स्थानीय युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षित कर और होमस्टे को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि खोड़ नार के साथ-साथ अब्दुल्ला जलप्रपात और आसपास के वन ट्रेल्स को मिलाकर इस क्षेत्र को प्राकृतिक पर्यटन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा सकता है।
स्थानीय लोगों की यह भी मांग है कि पर्यटन विकास के सभी प्रयास स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखकर किए जाएं, जिससे प्राकृतिक विरासत संरक्षित रह सके।
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