जम्मू-कश्मीर के इतने सदस्य होंगे राज्यसभा का हिस्सा, राह हुई आसान

Edited By Sunita sarangal, Updated: 04 Oct, 2024 12:32 PM

4 members from jammu and kashmir join rajya sabha

जम्मू-कश्मीर के इन विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद जल्द चुनाव करवाए जा सकते हैं या संसद सत्र से पहले इनका चयन हो सकता है।

जम्मू: जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव सम्पन्न होने के साथ अब राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों के चुनाव को लेकर भी राह आसान हो गई है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद उसी वर्ष जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन से जम्मू-कश्मीर को अलग एवं लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। जो राज्यसभा सदस्य 2016 में पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार में चुने गए उनका भी कार्यकाल समाप्त हो गया जबकि भाजपा ने एक सदस्य गुलाम अली खटाना को नामांकित करवाया ताकि गुज्जर-बक्करवाल समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया जा सके।

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राज्यसभा सदस्य चुनने के लिए विधायकों की अहम भूमिका रहती है और उन्हीं के मतदान से सदस्य का चयन होता है। पिछले 5 वर्ष से जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा सदस्य का चयन नहीं हुआ। अब जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो गए हैं और 8 अक्तूबर को नतीजे सामने आ जाएंगे तो 4 राज्यसभा सदस्यों के चयन की राह भी आसान हो जाएगी।

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इन विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद जल्द चुनाव करवाए जा सकते हैं या संसद सत्र से पहले इनका चयन हो सकता है। लगभग साढे़ 3 साल के अंतराल के बाद राज्यसभा सदस्य का चुनाव होगा। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 के तहत जम्मू-कश्मीर में जहां 90 विधायक दिए गए हैं, उसके साथ 5 लोकसभा और 4 राज्यसभा सदस्यों की सीटें प्रदान की गई हैं। पहले भी जम्मू-कश्मीर में 4 राज्यसभा सदस्य चुने जाते रहे हैं। हालांकि पहले यहां 6 लोकसभा सीटें थीं।

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राज्यसभा के लिए अंतिम बार 2015 में चुनाव हुआ था जब भाजपा-पी.डी.पी. गठबंधन ने 3 और नेकां-कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। पी.डी.पी. की तरफ से कश्मीर से फैयाज अहमद मीर, नजीर अहमद लावे और शमशेर सिंह मन्हास विजयी हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद भी नेकां-कांग्रेस गठबंधन के साथ चुने गए। इन सभी का कार्यकाल 2021 में समाप्त हो गया था।

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सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में चुनाव नतीजे आने के बाद जब स्थिति स्पष्ट होगी और चुने हुए विधायक शपथ ग्रहण करेंगे, उसके बाद चुनाव आयोग राज्यसभा सदस्यों के चयन की प्रक्रिया को शुरू करेगा। चुनावों में जब नतीजे आएंगे तो संख्या बल के आधार पर राजनीतिक दल अपने-अपने सदस्य चुनने को लेकर गोटियां फिक्स करेंगे। जिस भी दल की प्रदेश में गठबंधन सरकार बनती है, उसके हिसाब से उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। वर्ष 2014 के चुनावों में भाजपा के 26, पी.डी.पी. के 28, नेकां के 15, कांग्रेस के 12, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के 2 और सी.पी.आई.एम. एवं ए.आई.पी. का एक-एक विधायक था।

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