CM उमर अब्दुल्ला ने आखिर क्यों कही अपने पद से इस्तीफा देने की बात, पढ़ें पूरी खबर

Edited By VANSH Sharma, Updated: 30 Sep, 2025 09:11 PM

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जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का मुद्दा गर्माया हुआ है।

अनंतनाग (मीर आफताब): जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का मुद्दा गर्माया हुआ है। इसी के बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का संघर्ष लोकतंत्र और अहिंसा के रास्ते पर आधारित रहेगा।

अनंतनाग में एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम उमर ने कहा कि वह विरोध करने के लिए तैयार हैं, लेकिन लद्दाख की स्थिति सबके सामने है और वह घाटी में विनाश, तबाही और खून-खराबे को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं राज्य के दर्जे की बहाली के लिए लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से लड़ूंगा। लेकिन मैं कश्मीर को फिर से आग में नहीं डूबने दूंगा। यहां के परिवारों ने पहले ही बहुत कुछ सहा है और मैं दुख के उस चक्र को दोबारा नहीं देखना चाहता।

उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ किसी भी तरह के राजनीतिक समझौते की संभावना से भी इनकार किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार में भाजपा को शामिल करने से राज्य का दर्जा बहाल करने में मदद मिलेगी, तो मेरा इस्तीफा ले लीजिए और किसी अन्य विधायक को मुख्यमंत्री बना दीजिए, लेकिन मैं समझौता नहीं करूंगा।

उन्होंने याद दिलाया कि पिछले विधानसभा चुनावों के बाद उनके पास भी भाजपा के साथ गठबंधन करने का विकल्प था। जैसे मुफ़्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ़्ती ने 2015 और 2016 में किया था, मैं भाजपा के साथ सरकार बनाने का विकल्प चुन सकता था। भाजपा के साथ सरकार बनाने पर शायद राज्य का दर्जा जल्दी मिल जाता। लेकिन मैंने दूसरा रास्ता चुना, ताकि भाजपा को जम्मू-कश्मीर की सत्ता से दूर रखा जा सके। उन्होंने कहा कि हमें लंबा इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन मैं उन्हें हमारे जरिए सरकार में आने की इजाजत कभी नहीं दूंगा।

राज्य के दर्जे की मांग को लेकर उठ रहे विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लद्दाख से तुलना की। लद्दाख में, जब लोग बाहर निकले, तो एक घंटे के अंदर गोलीबारी शुरू हो गई। यहां कश्मीर में, वे इतना भी इंतजार नहीं करेंगे – दस मिनट के अंदर गोलियों की बौछार हो जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं नहीं चाहता कि कश्मीरी परिवार फिर से शोक में डूब जाएं। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, लेकिन लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से।

उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि लद्दाख, जिसने शुरुआत में 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का स्वागत किया था, अब स्वीकार कर चुका है कि संवैधानिक संरक्षण ने ही उनके हितों की रक्षा की। उन्होंने कहा कि हमने तब भी कहा था और अब भी कहते हैं कि 5 अगस्त, 2019 को जो कुछ भी हुआ, वह गलत था।

उन्होंने कहा कि राज्य के दर्जे के लिए उनकी सरकार का संघर्ष लोकतांत्रिक मूल्यों और अहिंसा पर आधारित रहेगा। उन्होंने कहा कि हम विकास या शासन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन राज्य का दर्जा हमारी पहचान है। हम इसे बहाल होने तक चैन से नहीं बैठेंगे और वह भी अपने सिद्धांतों का त्याग किए बिना।

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