Edited By Sunita sarangal, Updated: 02 Oct, 2024 10:36 AM
समय पर उपचार ना करने से आंत में छेद भी हो सकता है जिससे रोगी व्यक्ति की हालत गंभीर हो सकती है और तुरंत ऑपरेशन भी कराना पड़ता है।
जम्मू: आंत्र ज्वर यानि टाइफाइड जीवन के लिए एक खतरनाक रोग है जो कि सलमोनेल्ला टायफी जीवाणु से होता है। आंत्र ज्वर (टाइफाइड) को सामान्यत: एंटीबायोटिक दवाइयों से रोका तथा इसका उपचार किया जा सकता है। इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है।
क्या होता है टाइफाइड
टाइफाइड एक गंभीर बीमारी है। यह साल्मोनेला एन्टेरिका सेरोटाइप टाइफी बैक्टीरिया से होता है। यह साल्मोनेला पैराटाइफी बैक्टीरियम से भी फैलता है। यह बैक्टीरिया पानी और खाने के जरिए लोगों के अन्दर जाता है और इसके द्वारा बहुत से लोगों में यह फैल जाता है। बैक्टीरिया पानी या सूखे सीवेज में हफ्तों तक जीवित रह सकते हैं। टाइफाइड एक खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी में तेज बुखार आता है, जो कई दिनों तक बना रहता है। यह बुखार कम-ज्यादा होता रहता है, लेकिन कभी सामान्य नहीं होता। टाइफाइड का इन्फेक्शन होने के एक सप्ताह बाद रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं।
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टाइफाइड के लक्षण
सिरदर्द
104 डिग्री तक बुखार
शरीर में दर्द
बिगड़ी हुई भूख
जी मिचलाना
दस्त और कब्ज
पेट दर्द
कफ
टाइफाइड का कारण
टाइफाइड सबसे अधिक मुंह के जरिये खाने-पीने की ऐसी दूषित वस्तुओं से फैलता है, जिसमें साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु मौजूद हो। यदि टाइफाइड का रोगी बाथरूम का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को कीटाणुनाशक साबुन से नहीं धोता और उन्हीं हाथों से खाने-पीने की व अन्य वस्तुओं को स्पर्श करता है और यदि इस स्थिति में कोई दूसरा स्वस्थ व्यक्ति उन्हीं वस्तुओं को छूकर साबुन से हाथ धोए बगैर कोई खाद्य पदार्थ ग्रहण करता है तो वह भी टाइफाइड के बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है।
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डॉक्टरों ने बताया कैसे होगा बचाव
डॉक्टरों के अनुसार टाइफाइड का समय पर इलाज किया जाए तो इसके लक्षण 3 से 5 दिन में ठीक किए जा सकते हैं। टाइफाइड पैदा करने वाले साल्मोनेला बैकटीरिया को एंटीबॉयोटिक दवाओं से खत्म किया जाता है। टाइफाइड बुखार का समय पर उपचार ना करने से आंत में छेद भी हो सकता है जिससे रोगी व्यक्ति की हालत गंभीर हो सकती है और तुरंत ऑपरेशन भी कराना पड़ता हैं। टाइफाइड की स्थिति में रोगी के शरीर में पानी की कमी न होने पाए, इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी और पोषक तरल पदार्थ लेना चाहिए। रोगी को हल्का आसानी से पचा सकने वाला आहार लेना चाहिए। बुखार में रोगी को अधिक से अधिक आराम की जरूरत होती है। भोजन का खास ख्याल रखना चाहिए। बुखार होने पर दूध, साबूदाना, चाय, मिश्री आदि हल्की चीजें खाएं। मिश्री का शर्बत, मौसमी का रस, सोडा वाटर और कच्चे नारियल का पानी जरूर पिएं। पानी खूब पिएं और पीने के पानी को पहले गर्म करें और उसे ठंडा होने के बाद पिएं। अधिक पानी पीने से शरीर का जहर पेशाब और पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है।
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