Edited By Neetu Bala, Updated: 20 Nov, 2024 02:26 PM
सूत्रों के अनुसार इस बारे केंद्र सरकार से बातचीत चल रही है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा की यू़.टी. सरकार किस ढंग से कानून व्यवस्था को संभालती है।
जम्मू : 10 वर्ष के बाद जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक सरकार बनने के बाद जनता को उम्मीद है कि वह चुनावों में किए वादों पर खरा उतरेगी। जिस ढंग से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला किसी बड़े विवाद को खड़ा करने के बजाए शासन को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं, उससे उम्मीद बंध रही है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की लोकतांत्रिक सरकार पर भरोसा जताते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप सकता है लेकिन इसके लिए प्रदेश के हालात को ध्यान में रखते हुए केंद्र निर्णय लेगा।
नैशनल कांफ्रैस के नेतृत्व में चल रही सरकार का मानना है कि प्रदेश की जनता के लिए उन्हें पांच साल के लिए जनादेश दिया है और इसलिए पार्टी का प्रयास रहेगा कि जनहित में काम किया जाए और लोगों की मुश्किलों को दूर किया जाए। पार्टी प्रवक्ता तनवीर सादिक ने एक बयान में कहा कि सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में जुटी हुई है और इसलिए जनआकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए गए हैं जिनमें विशेष दर्जा प्रदान करने हेतु प्रस्ताव पारित करना, राज्य दर्जा बहाली, जे.के.ए.एस. परीक्षाओं में 3 वर्ष की आयु छूट, 9वीं कक्षा तक शैक्षिक सत्र में बदलाव और अन्य महत्पूर्ण मुद्दों पर सरकार ने तेजी से काम किया है।
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मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले दिनों के केंद्रीय नेताओं खासकर वित्त मंत्री से भेंट कर जम्मू-कश्मीर के लिए 6 हजार करोड़ रुपए का पैकेज मांगा है। सरकार कृतसंकल्प है कि राशन में बढ़ौत्तरी, मिट्टी का तेल और गैस कोटे को बढ़ाया जाए और इसे सरकार जरूर पूरा करेगी।
जिस ढंग से नैशनल कांफ्रेस के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नई दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत की है। उससे संभावना है कि जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था का जिम्मा प्रदेश सरकार को दिया जा सकता है। मौजूदा समय में उपराज्यपाल ही कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाले हुए हैं। सूत्रों के अनुसार इस बारे केंद्र सरकार से बातचीत चल रही है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा की यू़.टी. सरकार किस ढंग से कानून व्यवस्था को संभालती है।
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वहीं अगर आतंकी हिंसक घटनाओं में बढ़ौत्तरी होती है तो केंद्र इस निर्णय को टाल भी सकता है। अगले मार्च-अप्रैल में जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव होने हैं और चुनावों के मद्देनजर केंद्र सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे चुनाव बाधित हों। हालांकि नैकां सरकार प्रयास कर रही है कि जम्मू-कश्मीर की पूरी जिम्मेदारी लोकतांत्रिक सरकार को सौंपी जाए लेकिन केंद्र इस बारे क्या रुख अपनाता है, उसके बारे में प्रदेश के हालात एवं आगामी रणनीति को ध्यान में रखते हुए केंद्र फैसला लेगी।
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