J&K में लोगों को खा रही यह बिमारी, हर 2 में से एक व्यक्ति शिकार... चौकाने वाली रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

Edited By Neetu Bala, Updated: 02 Mar, 2025 07:29 PM

this disease is consuming people in j k one in every 2 people is a victim

इस गतिहीन जीवनशैली के कारण हर 2 में से एक व्यक्ति मोटापे की श्रेणी में आ गया है, जिसके नतीजे में मधुमेह और शरीर में अतिरिक्त वसा से संबंधित अन्य बीमारियों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है।

जम्मू/श्रीनगर : हाल ही में हुए एक अध्ययन के दौरान एक आश्चर्यजनक खुलासा हुआ है कि कश्मीर में लगभग 84.2 प्रतिशत वयस्क शारीरिक रूप से ऐसा निष्क्रिय जीवन जी रहे हैं, जिसमें किसी प्रकार का व्यायाम करना अथवा चलना शामिल नहीं है। इस गतिहीन जीवनशैली के कारण हर 2 में से एक व्यक्ति मोटापे की श्रेणी में आ गया है, जिसके नतीजे में मधुमेह और शरीर में अतिरिक्त वसा से संबंधित अन्य बीमारियों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (इंडिया-बी.) के तहत शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (स्किम्स) सौरा की एक विशेषज्ञ टीम द्वारा कश्मीर और लद्दाख में मधुमेह, प्री-डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और मोटापे की व्यापकता को मापने के लिए किया गया अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन कई मायनों में आंखें खोलने वाला है। इस अध्ययन को लेकर वर्ष 2024 के अंत में जारी आंकड़ों से पता चला कि कश्मीर में लगभग 55.3 प्रतिशत लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अधिक वजन और मोटापे को असामान्य या अत्यधिक वसा संचय के रूप में परिभाषित किया गया है जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है। मोटापे के कई कारण होते हैं, जिनमें मनुष्य द्वारा ली गई कैलोरीज तथा उसके शरीर के अंदर कैलोरीज की खपत के बीच के असंतुलन को इसका मुख्य कारक माना गया है। अतिरिक्त उपभोग की गई कैलोरी शरीर में वसा के रूप में जमा हो जाती है।

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इंडिया-बी. द्वारा कु ल 2510 प्रतिभागियों का अध्ययन किया, जिनमें 70 प्रतिशत ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित थे। इस अध्ययन में पाया गया कि प्रतिभागियों में से केवल 15.8 प्रतिशत की जीवनशैली सक्रिय थी तथा शेष 84.2 प्रतिशत को ‘निष्क्रिय’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था। वहीं वर्ष 2010 में स्किम्स सौरा के एक अध्ययन में पाया गया कि 20 से 40 वर्ष की आयु के 16 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार थे। जबकि इस आयु वर्ग में मधुमेह की बीमारी से ग्रस्त आबादी का प्रतिशत 5 प्रतिशत से अधिक था। 

इंडिया-बी. अध्ययन से यह बात भी सामने आई कि गत 14 वर्षों के दौरान मोटापे से ग्रस्त जनसंख्या का प्रतिशत लगभग 55 प्रतिशत को पार कर गया। कश्मीर घाटी में मधुमेह मधुमेह से प्रभावित आबादी 7.8 प्रतिशत पाई गई, जहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में मधुमेह के मरीजों में एक बड़ा अंतर पाया गया, ग्रामीण क्षेत्रों के 5.6 प्रतिशत की तुलना में शहरी क्षेत्रों में 13.1 प्रतिशत से अधिक आबादी मधुमेह से प्रभावित पाई गई। मोटापे को हृदय रोग, स्ट्रोक, टाइप-2 मधुमेह और यहां तक ​​कि कुछ कैंसर से निकटता से जुड़ा हुआ पाया गया है। इसके अलावा इसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से भी जोड़ा गया है। शहरी कश्मीर के अध्ययन में पाया गया कि 32.4 प्रतिशत आबादी उच्च रक्तचाप से प्रभावित थी।

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अध्ययन में मोटापे, मधुमेह और जीवन पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता की कमी भी पाई गई। केवल 55 प्रतिशत आबादी को ही इस बात की जानकारी थी कि मधुमेह रोकथाम योग्य है। जबकि 51 प्रतिशत को इस बात का पता था कि मधुमेह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है। शायद इसी कारण डॉक्टरों तथा चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा मोटापे के प्रभावों के बारे में गहन जागरूकता की आवश्यकता व्यक्त की जा रही है।

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