Edited By Sunita sarangal, Updated: 05 Oct, 2024 12:01 PM
मतदाता आपस में चर्चाओं में क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व में सरकार बनाने की उम्मीद जता रहे हैं।
जम्मू: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir VidhanSabha Elections) जोरदार मतदान (Voting) के साथ सम्पन्न होने के बाद अब जनता को नतीजों (result) और उसके बाद सरकार गठन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। जिस ढंग से मतदान हुआ है, उससे लगता है कि जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर राजनीतिक दल (Political Parties) मिलजुल कर सरकार बनाएंगे। हालांकि असली स्थिति 8 अक्तूबर को नतीजे आने के बाद स्पष्ट होगी। दूसरा 6 अक्तूबर शाम को एग्जिट पोल (Exit Poll) आना शुरू होंगे लेकिन मतदाता भी सरकार गठन को लेकर खूब माथापच्ची कर रहे हैं।
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अब जब मतगणना को लेकर 3 दिन शेष रह गए हैं। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के अलावा आम जनमानस भी सरकार गठन को लेकर तरह-तरह के क्यास लगा रहे हैं। कश्मीर के मतदाताओं ने किसके पक्ष में मतदान किया है। उस बारे ई.वी.एम. के खुलने पर पता चलेगा लेकिन लोग अपने-अपने ढंग से आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं कि फलां पार्टी उससे गठबंधन सरकार बनाएगी, फलां पार्टी इन निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ जोड़-तोड़ कर सरकार बनाएगी। लेकिन एक बात तय है कि जम्मू संभाग से एक बड़ा दल और कश्मीर संभाग का एक बड़ा दल सरकार गठन में अहम भूमिका निभाएगा। जिसे भी अधिक सीटें मिलीं, वह पहले अपना दावा पेश करेगा ताकि सरकार बनाए। सरकार बनने पर बहुमत साबित करना आसान हो जाएगा।
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मतदाता (Voters) आपस में चर्चाओं में क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व में सरकार बनाने की उम्मीद जता रहे हैं। जिस ढंग से राष्ट्रीय बड़े दल के नेताओं ने धुआंधार प्रचार किया है, उससे लगता है कि उसका भी सरकार बनाने का सपना साकार साबित हो सकता है। जिस ढंग से मतदान हुआ है उसको लेकर आंकड़ों बारे खूब चर्चा हो रही है। कश्मीर के मतदाताओं ने पहली बार रिकॉर्ड स्तर पर मतदान किया है और उसके नतीजे चौंकाने वाले साबित हो सकते हैं। लोगों की किसी न किसी जिले में रिश्तेदारी, आना-जाना है और चुनावी माहौल में खासतौर पर हालचाल के साथ लोग हार-जीत बारे भी चर्चा कर रहे हैं। इसी आधार पर लोग सरकार गठन पर अपने-अपने आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं।
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आपस में लगा रहे शर्त
सरकार गठन को लेकर कई लोगों ने आपस में शर्त लगाई है कि फलां पार्टी या उम्मीदवार विजयी होगा। जातिगत समीकरणों के साथ नेताओं के रसूख को देख कर भी दाव लगाया जा रहा है। पूरे समीकरणों पर चर्चा के बाद शर्त लगाई जा रही है कि यह नेता जीतेगा और इस दल की सरकार बनेगी। पहले भी ऐसा हुआ है जब सियासी रुचि रखने वाले मतदाताओं ने चुनावों में शर्त लगाई और जीत भी गए। इस बार भी ऐसा ही कुछ स्थानों पर देखने को मिल रहा है।
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