Edited By VANSH Sharma, Updated: 19 Apr, 2025 09:22 PM

जम्मू-कश्मीर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने शनिवार को भ्रष्टाचार के दो अहम मामलों में कार्रवाई करते हुए श्रीनगर में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं।
श्रीनगर (मीर आफताब) : जम्मू-कश्मीर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने शनिवार को भ्रष्टाचार के दो अहम मामलों में कार्रवाई करते हुए श्रीनगर में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। इन मामलों में फ्लड स्पिल चैनल डिवीजन नारबल के दो कार्यकारी अभियंता और एक तत्कालीन सहायक कार्यकारी अभियंता (AEE) को हिरासत में लिया गया है।
ACB के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) जावेद हसन भट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पहला मामला होकरसर वेटलैंड में ड्रेजिंग कार्य में गड़बड़ी से जुड़ा है, जबकि दूसरा मामला LAWDA द्वारा अवैध निर्माण की अनुमति देने से संबंधित है।
होकरसर ड्रेजिंग घोटाला: 2.29 करोड़ रुपये का नुकसान
ACB की जांच के अनुसार, वर्ष 2018 में NIT No. 01 of 2018-19 के तहत होकरसर वेटलैंड के पार एक चैनल के निर्माण के लिए M/S Reach Dredging Limited को कार्य सौंपा गया था। शर्तों के अनुसार, खुदाई की गई सामग्री को वेटलैंड की सीमा में नहीं डाला जाना था, लेकिन इसके उलट नियमों की अनदेखी करते हुए कार्य को पुराने मानकों और कीमतों पर ही आवंटित किया गया।
जांच में यह भी पाया गया कि 8 से 18 किलोमीटर की परिवहन दूरी को एकसाथ दिखाकर अनुचित भुगतान किया गया, और अधिकतर खुदाई की गई सामग्री का उचित निपटान नहीं किया गया। इससे सरकारी खजाने को लगभग ₹2.29 करोड़ का नुकसान हुआ और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा।
इस मामले में तत्कालीन कार्यकारी अभियंता सिराज-उद-दीन शाह, गुलाम अहमद बेग, और तत्कालीन AEE इरफान अहमद रेशी की संलिप्तता पाई गई। उनके विरुद्ध FIR नंबर 07/2025 के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और RPC की धारा 120-B के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
LAWDA निर्माण घोटाला: नियमों की धज्जियां
दूसरा मामला श्रीनगर के गगरीबल इलाके में अवैध निर्माण से जुड़ा है। शिकायत मस्जिद शरीफ गगरीबल की इंतिजामिया कमेटी द्वारा की गई थी, जिसमें कहा गया कि इफ्तिखार सादिक, निवासी गगरीबल, ने करीब 12 कनाल कस्टोडियन भूमि पर अवैध रूप से बहु-मंजिला हॉस्टल भवन बनाए हैं।
जांच में पता चला कि इफ्तिखार को J&K बिल्डिंग बायलॉज़ 2011 की अनदेखी करते हुए पांच हॉस्टल भवनों की अनुमति मिली, जबकि नियमों के अनुसार एक हॉस्टल के लिए 3 कनाल भूमि आवश्यक थी। शुरुआत में तीन भवनों के लिए ही अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में दो और की अनुमति नियमों के विपरीत जारी कर दी गई। इन भवनों का निर्माण भी स्वीकृत नक्शों से भटककर 'हॉस्टल' के बजाय 'रिसॉर्ट' जैसे ढांचे बनाकर किया गया। इस मामले में भी LAWDA, टाउन प्लानिंग और कस्टोडियन विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। इनके खिलाफ FIR नंबर 08/2025 दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है।
इन मामलों में देरी को लेकर पूछे गए सवाल पर SSP जावेद हसन भट ने कहा कि कई बार शिकायतें देर से प्राप्त होती हैं, और जांच में शामिल विभागों से रिकॉर्ड इकट्ठा करने में समय लगता है। उन्होंने बताया कि संबंधित विभागों ने बताया है कि 2014 की बाढ़ में कई जरूरी रिकॉर्ड नष्ट हो गए थे, जिससे जांच प्रक्रिया में विलंब हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि ACB भ्रष्टाचार पर नजर बनाए हुए है और किसी भी गड़बड़ी पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।