Samba विधानसभा सीट बनी Hot,मुकाबला होगा दिलचस्प, जानें किनमें होगी कांटे की टक्कर

Edited By Neetu Bala, Updated: 27 Sep, 2024 06:34 PM

samba assembly seat has become hot the contest will be interesting

वर्ष 2014 में जब चुनाव हुए थे तो भाजपा के प्रत्याशी डॉ. देवेंद्र कुमार मन्याल ने भारी मतों के साथ जीत दर्ज की थी।

साम्बा (अजय): जम्मू-कश्मीर यूटी के तीसरे चरण में जिला साम्बा की साम्बा विधानसभा सीट पर भी मुकाबला काफी दिलचस्प है। परिसिमन के बाद साम्बा विधानसभा सीट काफी बदलाए हुए हैं जिसमें तीन तहसीलों के इलाके शामिल हो गए हैं, जिसमें साम्बा के इलावा अब विजयपुर का कुछ हिस्सा और घगवाल तहसील का हिस्सा भी शामिल हो गया है। वहीं 28 वर्ष बाद अब यह सीट रिजर्व से खत्म होकर सामान्य वर्ग के दायरे में आ चुकी है, जिससे अब सामान्य वर्ग के 9 उम्मीदवार मैदान में उतरकर अपनी किस्मत को अजमा रहे हैं।

 पिछली बार वर्ष 2014 में जब चुनाव हुए थे तो भाजपा के प्रत्याशी डॉ. देवेंद्र कुमार मन्याल ने भारी मतों के साथ जीत दर्ज करके नेशनल पैंथर्स पार्टी के यशपाल कुंडल को हराया साम्बा विधानसभा सीट पर भाजपा का खाता खोला था। साम्बा सीट पर कंडी वैल्ट, जिसमें नड ब्लॉक सुम्ब ब्लॉक का लगभग 32 हजार मतदाता किसी भी उम्मीदवार के भविष्य का फैसला कर सकता है, क्योंकि इन इलाकों का वोट हमेशा राष्ट्रीय पार्टी को ही जाता है। वहीं शहरी इलाकों के 43 हजार के करीब वोट हमेशा सभी उम्मीदवारों की झोली में ही जाते हैं और सबको कुछ-कुछ हिस्सा मिल जाता है। इस विधानसभा क्षेत्र में 90698 मतदाता हैं जिसमें 3657 युवा हैं जो इन उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे।

कौन-कौन-सा प्रत्याशी चुनावी मैदान में, किसमें होगी कांटे की टक्कर
                            
इस बार के चुनाव में भाजपा अपनी दूसरी जीत दर्ज करने की फिराक में है और उसने मैदान में पूर्व मंत्री व 2 बार विधायक रह चुके सुरजीत सिंह सलाथिया को मैदान में उतारा है। उनके सामने डेमोक्रेटिक प्रोगेसिब आजाद पार्टी के उम्मीदवार विनोद कुमार मिश्रा, आजाद उम्मीदवार के तौर पर पूर्व सरपंच रविंद्र सिंह लबलू, कांग्रेस पार्टी से एडवोकेट कृष्ण देव सिंह, आजाद उम्मीदवार पूर्व सरपंच रीना चौधरी, आजाद उम्मीदवार भानुप्रताप सिंह बिन्नी, पी.डी.पी. के राजिंद्र सिंह, बसपा के बलदेव राज, पैंथर्स पाटी के राजन जम्वाल, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के लवली मंगोल, नेशनल अवामी यूनाइटेड पार्टी की पिंकी देवी, आसपा के राज कुमार, आजाद उम्मीदवार संदीप सम्बयाल, निर्दलीय विनोद कुमार वानी मैदान में है। 

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लगभग 14 उम्मीदवार मैदान में उतरे हुए है और इसमें सिर्फ सुरजीत सिंह सलाथिया को ही चुनाव का अनुभव है, क्योंकि व वर्ष 1983 से चुनाव मैदान में है और 2 बार विजयपुर से विधायक बनकर मंत्री भी रह चुके हैं। सलाथिया का चुनावी दौर नेशनल कांफ्रैंस की टिकट से वर्ष 1983 से साम्बा विधानसभा क्षेत्र से ही शुरू हुआ था और उस दौरान कांग्रेस के प्रकाश शर्मा से उन्हें हार मिली थी। वहीं वर्ष 1996 और वर्ष 2008 के चुनाव में उन्होंने विजयपुर विधानसभा से जीत दर्ज की थी। वर्ष 1983 के बाद अब फिर से व वर्ष 2024 में साम्बा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे हैं। इसके अलावा उनके विरोध में खड़े किसी भी उम्मीदवार के पास विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है। हालांकि डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के उम्मीदवार विनोद कुमार मिश्रा का राजनीतिक करियर तीस साल का है, जबकि रविंद्र सिंह लबलू और रीना चौधरी सरपंच का चुनाव जीत चुके है और उनके पास पंचायत का अनुभव है।

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साम्बा विधानसभा क्षेत्र से किस-किस ने कौन से वर्ष में जीत दर्ज की

साम्बा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1962 में नेकां से कुंवर सागर सिंह, वर्ष 1967 में कांग्रेस से परमानंद, 1972 में कांग्रेस से गौरी शंकर, 1977 में आजाद के तौर पर ध्यान सिंह, वर्ष 1983 में कांग्रेस से प्रकाश शर्मा, वर्ष 1987 में फिर से प्रकाश शर्मा, वर्ष 1996 में बसपा से सोमनाथ, वहीं वर्ष 2002 और वर्ष 2008 में नेशनल पैंथर्स पार्टी से यश्पाल कुंडल और उसके बाद वर्ष 2014 में डा. देवेंद्र कुमार मन्याल ने भाजापा का खाता खोलकर जीत दर्ज की। वर्ष 1962 से लेकर अब तक कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की है।

साम्बा विधानसभा क्षेत्र में कौन-कौन से मुद्दे सबसे आगे

साम्बा विधानसभा क्षेत्र के नड और सुम्ब ब्लॉक पहाड़ी है और ऐसे में कई गांवों में अभी तक सड़क सुविधा नहीं पहुंच पाई है और लोग आज भी पैदल चलते हैं। वहीं साम्बा-सुम्ब गौरण सड़क का काम कई वर्षों से पूरा नहीं हो पाया है और यही हाल साम्बा-मानसर सड़क का भी बना हुआ है और खस्ताहालत में बनी हुई है। साम्बा में जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े कारखाने लगे हुए हैं, जिसमें स्थानीय युवाओं को सिर्फ फ्रैशर कहकर पीछे छोड़ दिया जाता है और उन्हें रोजगार नहीं दिया जाता है। आज भी युवा डायरैक्ट कारखाने में काम नहीं कर पाते हैं और ठेकेदारी प्रथा के तहत सिर्फ लेबर में ही पिस रहे हैं। वहीं कुछ कारखाने सबसिडी खाकर बंद हो गए हैं। इसके अलावा साम्बा शहर में पार्किंग की सुविधा नहीं होना भी सबसे चर्चित मुद्दा रहता है।

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