Edited By Neetu Bala, Updated: 17 Jul, 2025 01:57 PM

जांच में पाया गया था कि अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट और मेंढर के एस.डी.एम. के कार्यालय में कुछ फर्जी बंदूक लाइसैंस तैयार किए गए थे।
जम्मू (उदय) : जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय के जस्टिस रजनीश ओसवाल ने बहुचर्चित फर्जी बंदूक लाइसैंस घोटाले मामले की जांच से संबंधित अतिरिक्त प्राथमिकियों को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और राजौरी जिले में एक दशक से भी पहले दर्ज दो मामलों की एक विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) द्वारा जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि यह आदेश सरकार को सभी प्राथमिकियों की जाँच किसी विशेष जांच एजैंसी जैसे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ए.सी.बी.) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) को सौंपने से नहीं रोकेगा।
7 फरवरी 2011 को जम्मू के जानीपुर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी जब 12 बोर की बंदूकें ले जा रहे दो व्यक्तियों को पकड़ा गया था और उनके हथियार लाइसैंस, जो मेंढर (पुंछ) के उप- विभागीय मैजिस्ट्रेट (एस.डी.एम.) द्वारा जारी किए गए थे, कुपवाड़ा, कठुआ और बुधल के पते पर पाए गए थे। एक विशेष जांच दल का गठन किया गया और उसने पाया कि राजौरी के अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट और मेंढर के एस.डी.एम. के कार्यालय में कुछ फर्जी बंदूक लाइसैंस तैयार किए गए थे।
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तदनुसार, 216 बंदूक लाइसैंसों से संबंधित एक दस्तावेज़ राजौरी पुलिस स्टेशन को और 179 बंदूक लाइसैंसों से संबंधित एक अन्य दस्तावेज मेंढर पुलिस स्टेशन को भेजा गया जिसके परिणामस्वरूप 2011 में अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गईं। 2012 और 2015 में राजौरी जिले के कंडी और थानामंडी में दो और प्राथमिकियां दर्ज की गईं।
कुछ सरकारी अधिकारियों सहित अभियुक्तों द्वारा चार प्राथमिकियों को रद्द करने की मांग करते हुए विभिन्न याचिकाएं दायर की गई हैं। इस आधार पर कि जानीपुर पुलिस स्टेशन में इसी घटना के संबंध में पहले ही एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
अतिरिक्त प्राथमिकियों को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल ने 11 जुलाई को कहा कि इन याचिकाओं में कोई दम नहीं है। उन्होंने वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता मोनिका कोहली की दलीलों से सहमति जताई, जिन्होंने याचिका का कड़ा विरोध किया था।न्यायाधीश ने यह भी कहा कि थानामंडी और कंडी पुलिस स्टेशनों में दर्ज प्राथमिकियों की जाँच सरकार द्वारा पहले से गठित विशेष जांच दल द्वारा की जानी आवश्यक है।
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