Edited By Sunita sarangal, Updated: 03 Sep, 2024 05:17 PM
गौरतलब है कि इस मुद्दे पर पहले भी पी.डी.पी. की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बीच विवाद छिड़ चुका है।
जम्मू-कश्मीर: "हलाल-हराम" मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर की राजनीति गरमाई हुई है। इस बार चुनावों में ऐसे लोग खड़े हुए हैं जिन्होंने चुनावों को हराम बताया था और चुनावों का बहिष्कार कर दिया था। सबसे बड़ी बात है कि जमात-ए-इस्लामी 1987 के बाद मैदान में उतरी है। उस समय चुनावों में हुई कथित धांधली से खफा जमात-ए-इस्लामी ने चुनावों का बहिष्कार कर दिया था लेकिन अब प्रतिबंध हटने के बाद वह चुनावी मैदान में उतरी है। इसके अलावा अलगाववादी नेता सैयद सलीम गिलानी भी पी.डी.पी. में शामिल हो चुके हैं। पत्रकारों से बातचीत दौरान नेता सलीम गिलानी का कहना था कि समय के साथ राजनीति के तरीके भी बदल जाते हैं।
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गौरतलब है कि इस मुद्दे पर पहले भी पी.डी.पी. की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बीच विवाद छिड़ चुका है। अब देखना यह होगा कि चुनावों को हराम कहने वाले इन लोगों का जनता कितना साथ देती है।
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