क्यों कहते हैं भगवान शिव को औघड़ दानी? जानिए 'सावन मास' का रहस्य..ऐसे करें व्रत

Edited By Neetu Bala, Updated: 06 Jul, 2025 05:41 PM

why is lord shiva called aughad daani know the secret of sawan month

मौसमी फल, मिठाई आदि चढ़ाएं। माता पार्वती, गणेश जी, नंदी जी का पूजन करें।

जम्मू : प्राचीन शिव मंदिर बिश्नाह से महामण्डलेश्वर अनूप गिरि महाराज ने बताया कि वैसे तो पूरा सावन मास ही शिवजी का होता है परंतु सावन के महीने में सोमवार के दिन का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। इस वर्ष सावन का महीना ग्यारह जुलाई से प्रारंभ होगा और नौ अगस्त रक्षाबंधन तक रहेगा। इस वर्ष सावन मास में चार सोमवार होंगे पहला 14 जुलाई, दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई और चौथा 04 अगस्त को।

सावन के सोमवार:- सावन के चारों सोमवार को व्रत रखें। व्रत में सिर्फ फलाहार करें, अन्न नमक का सेवन न करें। सोमवार के दिन प्रात: स्नान करके धोती पहन कर गमछा कन्धे पर रखकर, रुद्राक्ष धारण कर, भस्मी का तिलक लगाकर शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग को जल से धोकर पंचामृत से स्नान कराएं फिर गंगाजल से शिवलिंग को साफ करें। भस्मी से शिवलिंग पर त्रिपुण्ड बनाएं। बेलपत्र, फूल माला चढ़ाएं। धूप दीप आरती करें। मौसमी फल, मिठाई आदि चढ़ाएं। माता पार्वती, गणेश जी, नंदी जी का पूजन करें।

सावन का महत्व:- समुद्र मंथन सावन के महीने में ही हुआ था। समुद्र मंथन में चौदह रत्न के अलावा विष भी निकला था जिसे कोई भी लेने को तैयार नहीं हुआ। तब भगवान शंकर ने उस विष को पी लिया और अपने कंठ में रोक लिया जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया। विष पीने के कारण शिव जी को बहुत गर्मी लगने लगी मूर्छा छाने लगी। तब सभी देवताओं ने शिव जी के ऊपर जल, दूध, दही आदि वस्तुएं चढ़ाई। शीतलता पाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चन्द्रमा धारण कर लिया। तभी से सावन का महीना शिव जी का हो गया और तभी से शिवलिंग को जल, दूध, दही आदि चढ़ाने की परम्परा शुरू हुई।

औघड़ दानी:- भगवान शिव अपने भक्तों पर अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं और उन्हें उनकी इच्छानुसार वरदान प्रदान करते हैं। वरदान देते समय शिव जी यह नहीं सोचते कि उनके इस वरदान से सृष्टि का कोई नियम भंग हो सकता है या सृष्टि में कोई उथल-पुथल हो सकती है। जिस पर प्रसन्न हुए उसे उसका मनचाहा वरदान दे दिया। इसलिए शिव जी को औघड़ दानी कहा जाता है।

शिव जी के पूजन में सावधानियां :- शिव जी के पूजन में सिला हुआ वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, भस्मी लगाना चाहिए। कुश की पवित्री पहननी चाहिए। नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। नम: शिवाय मंत्र शिव जी का पंचाक्षरी मंत्र है यह शिव जी के ह्रदय में वास करता है यह स्वयं सिद्ध मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन के सोमवार के दिन विधिवत पूजन करने से चन्द्रग्रहण दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

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