Edited By Subhash Kapoor, Updated: 07 Oct, 2024 10:14 PM
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर मतदान की प्रक्रिया का दौर खत्म हो चुका है तथा 8 अक्तूबर को चुनावों के परिणाम आने वाले हैं।
जम्मू : जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर मतदान की प्रक्रिया का दौर खत्म हो चुका है तथा 8 अक्तूबर को चुनावों के परिणाम आने वाले हैं। सभी की निगाहें इस समय जम्मू-कश्मीर चुनाव पर हैं, जहां 10 साल बाद चुनाव हुए हैं। देश का ताज कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इसे लेकर भी लोगों में काफी उत्सुकता है। लेकिन इस सबके बीच चुनावी परिणाम आने से पहले उपराज्यपाल की तरफ से 5 सदस्यों को मनोनीत किए जाने के प्रस्ताव पर बवाल मच गया है। जानकारी अनुसार जम्मू कश्मीर में परिणाम से पहले ही उपराज्यपाल प्रशासन की तरफ से पांच सदस्यों को विधानसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाने के प्रस्ताव पर विवाद शुरू हो गया है।
दरअसल जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 के अधिकारों का इस्तेमाल कर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस बार पांच विधायकों को नामित कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो नई सरकार के गठन में इन पांचों मनोनीत विधानसभा सदस्यों की बेहद अहम भूमिका हो सकती है। क्योंकि ज्यादातर अनुमान में यह बात सामने आई है कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने रहा, इसलिए सरकार बनाने में ये नामित विधायक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उपराज्यपाल इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह लेगा और चुने गए विधायकों की ही तरह इन्हें भी सारे अधिकार मिलेंगे। मनोनीत विधायकों के पास सभी विधायी शक्तियां होंगी। ये विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान तक में हिस्सा ले सकेंगे। ऐसे में पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं आती है तो नई सरकार बनाने में इनी महत्वपूर्ण भूमिका साबित हो सकती है।
जिक्रयोग्य है कि इन विधानसभा चुनावों में करीब 900 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस दौड़ में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिनमें फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, कांग्रेस, बीजेपी और कई स्थानीय पार्टियां शामिल हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव लड़ा है।