Tea Lovers जरा सावधान! Research में हुआ होश उड़ा देने वाला खुलासा

Edited By Sunita sarangal, Updated: 02 Jan, 2025 02:11 PM

tea bags harmful for health

ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना (यू.ए.बी.) से जुड़े वैज्ञानिकों ने इसको लेकर किए नए अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

जम्मू डेस्क: टी-बैग से बनी चाय भी स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती है। ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना (यू.ए.बी.) से जुड़े वैज्ञानिकों ने इसको लेकर किए नए अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

इस रिसर्च से पता चला है कि पॉलिमर बेस्ड टी-बैग गर्म पानी में डालने के बाद माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स (एम.एन.पी.एल.) के लाखों कण छोड़ते हैं। अध्ययन के नतीजे जनरल कैमोस्फीयर में प्रकाशित हुए हैं।

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नायलॉन जैसी वस्तुओं से बने होते हैं टी बैग

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि टी-बैग द्वारा छोड़े प्लास्टिक के ये महीन कण हमारी आंतों की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित किए जा सकते हैं, जहां से यह रक्त में प्रवेश करने के बाद पूरे शरीर में फैल सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक प्लास्टिक के यह टी-बैग आमतौर पर नायलॉन-6, पॉलीप्रोपाइलीन और सेलूलोज जैसी चीजों से बने होते हैं। वैज्ञानिकों ने अलग-अलग तरह के टी-बैग में मौजूद प्लास्टिक के इन महीन कणों का अध्ययन कर उनकी पहचान की है।

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अध्ययन में वैज्ञानिकों ने टी-बैग्स से निकलने वाले कणों का अध्ययन करने के लिए इलैक्ट्रोन माइक्रोस्कोप (एस.ई.एम. और टी.ई.एम.), इन्फ्रारैड स्पेक्ट्रोस्कोपी (ए.टी.आर.-एफ.टी.आई.आर.) जैसे उन्नत उपकरणों की मदद ली है। अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि जब इन टी-बैग्स को गर्म पानी में डाला जाता है तो इनसे बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के महीन कण निकलते हैं जो हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

ऐसे किया गया अध्ययन

इस रिसर्च में जिन टी-बैग्स का अध्ययन किया गया वे नायलॉन-6, पॉलीप्रोपाइलीन और सैल्यूलोज से बने थे। रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं उनसे पता चला है कि पॉलीप्रोपाइलीन के बने टी-बैग से प्रति मिलीलीटर 120 करोड़ कण निकलते हैं। इन कणों का औसत आकार करीब 137 नैनोमीटर होता है।

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वहीं सैल्यूलोज से बने टी-बैग से प्रति मिलीलीटर 13.5 करोड़ कण मुक्त होते हैं, जिनका औसत आकार 244 नैनोमीटर होता है। इसी तरह नायलॉन-6 से बने टी-बैग्स ने प्रति मिलीलीटर 81.8 लाख कण मुक्त किए, जो आकार में औसतन 138 नैनोमीटर के थे।

वैज्ञानिकों ने इन कणों का परीक्षण मानव आंतों की कोशिकाओं पर भी किया ताकि यह देखा जा सके कि वे किस तरह परस्पर क्रिया करते हैं। उन्होंने पाया कि बलगम बनाने वाली कोशिकाओं ने सबसे अधिक सूक्ष्म कणों और नैनोप्लास्टिक को अवशोषित किया, वहीं कुछ कण तो कोशिका के नाभिक तक भी पहुंच गए।

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