Edited By Neetu Bala, Updated: 20 Jul, 2024 06:49 PM
जम्मू कश्मीर का यह नाम पड़ने के पीछे एक खास इतिहास है।
जम्मू -कश्मीर : भारत का राज्य जम्मू कश्मीर आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चाओं में रहता है। ये राज्य विशेष तौर पर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। सिर्फ यही नहीं यहां पर आंतकवाद का मुद्दा भी चर्चाओं में रहता है। आज हम इस राज्य के बारे में आप को कुछ खास बताने वाले हैं। आज हम आप को यह बताएंगे कि इस खूबसूरत राज्य का नाम जम्मू-कश्मीर कैसे पड़ा और इसका इतिहास क्या है।
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ऐसे पड़ा Jammu का नाम
भारत के हर राज्य और शहर का अलग इतिहास है, जिनका नाम पड़ने की वजह कुछ खास है। बता दें कि दरअसल जम्मू शहर का नाम जम्बू लोचन के नाम पर रखा गया है, जो 9वीं शताब्दी में शासन करने वाले एक शक्तिशाली स्थानीय सरदार बाहु के भाई थे। ऐसा कहा जाता है कि राजा बनने के बाद, जम्बू लोचन शिकार पर गए और तवी नदी को पार करते हुए उन्होंने एक हिरण और एक बाघ को एक ही तालाब से पानी पीते हुए पाया।
उनके मंत्रियों ने समझाया कि इसका मतलब है कि इस जगह की मिट्टी इतनी पवित्र है कि कोई भी जीवित प्राणी किसी दूसरे के प्रति शत्रुता नहीं रखता है। इसके बाद राजा जम्बू लोचन ने अपनी राजधानी जम्बूपुरा को अपनी राजधानी बनाया, जो अपने भाई राजा बाहु के किले के सामने तवी के दाहिने किनारे पर मौजूद थी। इसी जम्बूपुरा को बाद में जम्मू के नाम से जाना जाने लगा।
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Kashmir के नाम के पीछे ये है कहानी
इसी तरह कश्मीर के नाम के पीछे भी एक अलग इतिहास है। माना जाता है कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम रखा गया था। पुरानी कहानियों में ऐसा माना गया है कि जलोद्भव नाम के राक्षस ने ब्रह्मा के वरदान लेकर आतंक फैला दिया था। इसके बाद देवताओं के आग्रह पर पक्षी रूप में भगवती ने चोंच में पत्थर रखकर राक्षस को मारा था। बाद में वो पत्थर हरी पर्वत हो गया और महर्षि कश्यप ने सर का जल निकालकर इस स्थान को बसाया था, जिसके बाद से यही स्थान कश्मीर के नाम से जाना जाने लगा और इस तरह ये शहर बना जम्मू-कश्मीर।