Jammu में Youngsters कर रहे Sui+cide, होश उड़ा देंगे ये आंकड़े

Edited By Sunita sarangal, Updated: 08 Apr, 2025 10:38 AM

minors commit suicide in rajouri

इन मामलों में हैरान करने वाली बात यह है कि अधिकतर परिवारों ने न तो कोई पुलिस शिकायत दर्ज कराई और न ही मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई पूर्व जानकारी साझा की।

राजौरी(शिवम बक्शी): जम्मू-कश्मीर के राजौरी ज़िले में किशोरों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। पिछले 2 महीनों के भीतर जिले में सामने आए आत्महत्या के 10 मामलों में से 8 नाबालिगों से जुड़े हैं। इनमें से 3 छात्र केवल 9वीं कक्षा के थे।

इन मामलों में हैरान करने वाली बात यह है कि अधिकतर परिवारों ने न तो कोई पुलिस शिकायत दर्ज कराई और न ही मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई पूर्व जानकारी साझा की।

राजौरी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर (साइकेट्री) डॉ. परवेज आलम का कहना है कि किशोरों में संवादहीनता और डिजिटल व्यस्तता एक खतरनाक मानसिक स्थिति को जन्म दे रही है।

डॉ. आलम ने बताया कि आज माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। बच्चे मोबाइल की दुनिया में खो गए हैं और उनकी भावनात्मक स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के करीबी दोस्तों, शिक्षकों और स्कूल के माहौल की जानकारी रखें।

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क्यों आत्महत्या कर रहे हैं किशोर?

विशेषज्ञों के अनुसार किशोरों में आत्महत्या के पीछे कई जटिल कारक हो सकते हैं:

शैक्षणिक दबाव और अपेक्षाएं

सोशल मीडिया पर तुलना और वर्चुअल दबाव

साइबरबुलिंग और व्यक्तिगत संबंधों में असफलता

डिप्रेशन, स्ट्रेस और Identity Crisis

घर-परिवार में बातचीत की कमी और अकेलापन

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Psychiatrists का कहना है कि आत्महत्या करने से पहले किशोर अकसर कुछ संकेत देते हैं - जैसे व्यवहार में अचानक बदलाव, चुप्पी, गुप्त संदेश, जोखिम भरा आचरण जिन्हें अक्सर 'किशोरावस्था का स्वाभाविक व्यवहार' मानकर टाल दिया जाता है।

समाधान की दिशा में क्या किया जा सकता है?

स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना

परिवारों में खुली बातचीत और विश्वास का माहौल बनाना

किशोरों के व्यवहार में परिवर्तन को गंभीरता से लेना

समय रहते मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श लेना

सहकर्मी सहायता ग्रुपों और ऑनलाइन हेल्पलाइनों की उपलब्धता बढ़ाना

 

प्रत्येक आत्महत्या के पीछे एक अधूरी कहानी होती है, जो बदली जा सकती थी। समाज, परिवार और संस्थाओं को मिलकर एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां किशोर खुद को सुना हुआ, समझा हुआ और सुरक्षित महसूस करें। अगर आप या आपके आसपास कोई मानसिक तनाव से जूझ रहा है तो कृपया चुप न रहें। मनोवैज्ञानिक सहायता लें। आप अकेले नहीं हैं।

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