J&K विधान सभा चुनाव:  टिकट बंटवारे को लेकर BJP में नहीं  All is Well...

Edited By Neetu Bala, Updated: 04 Sep, 2024 05:54 PM

j k assembly elections all is well in bjp over ticket distribution

इस बार हवेली विधानसभा पर चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं क्योंकि एक और जहां तमाम राजनीतिक दल ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं,

पुंछ ( धनुज शर्मा) : जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनावों का 10 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद बिगुल बजते ही लोगों एवं नेताओं तथा राजनीतिक दलों में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। वहीं दूसरे चरण में 25 सितंबर को जिले की हवेली विधानसभा में होने वाला चुनाव इस बार काफी दिलचस्प माना जा रहा है। वर्ष 2014 में अंतिम बार हुए विधानसभा चुनावों में इस सीट पर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के शाह मोहम्मद तान्त्रे द्वारा अपनी जीत क पर्चम लहराया था, जोकि इस बार इस विधानसभा चुनाव को अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी से लड़ रहे हैं। वहीं इस बार शमीम गनैई पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार हैं जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस बार भी 2008 विधानसभा चुनाव के विजेता एजाज जान को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है, जबकि 2014 में निर्दलीय के तौर पर पहली बार चुनाव लड़कर 15 हजार से अधिक वोट हासिल करने वाले गुज्जर नेता चौधरी अब्दुल गनी को भाजपा ने मैदान में उतारा है जिन्होंने चुनाव से एन पहले कॉंग्रेस पार्टी को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थामा था।

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 इस बार हवेली विधानसभा पर चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं क्योंकि एक और जहां तमाम राजनीतिक दल ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, वहीं पूर्व सदस्य विधानपरिषद एवं पुंछ के सबसे बड़े नेता मानें जाने वाले दिवंगत यशपाल शर्मा के पुत्र द्वारा भी आजाद उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकी गई है। युवा नेता के तौर पर एवं अपने सामाजिक कार्यों जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क बड़े स्तर पर रक्त उपलब्ध करवाने वाले उदेश्यपाल शर्मा के कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही, जोकि राजनीतिक दलों के लिए परेशानियों का सबब भी बन सकती है। वहीं दूसरी और राजनीतिक दलों को अंतरकलह एवं बगावत का डर भी सता रहा है क्योंकि दस साल के लम्बे अंतराल पर राज्य में चुनाव आयोजित करवाए जा रहे हैं और हर नेता पार्टी से टिकट की आस लगाए बैठा था। ऐसे में राजनीतिक दलों में बेचैनी है कि कहीं टिकट की आस लगाए बैठे नेता लोग बगावत न कर दें। इसके लिए तमाम राजनीतिक दलों द्वारा हर नेता को चुनाव के बाद अच्छा पद देने की पेशकश भी अंदर खाने से की जा रही है, जबकि राजनीतिक दल किसी भी प्रकार का भीतरघात नहीं चाहते।

 गौरतलब है कि टिकट वितरण के बाद सबसे ज्यादा असंतोष भाजपा में देखने को मिला था और भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा सरेआम गुस्से का इजहार करते हुए पार्टी के उम्मीदवार को पेराशूट केंडीडेट करार दिया था, जिसके बाद साफ तौर पर ये बात जाहिर हो गई थी कि "आल इस नॉट वैल इन भाजपा" इसके चलते भारतीय जनता पार्टी के लिए सभी को साथ लेकर चलना और अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट डलवाना एक चुनौती है भाजपा द्वारा हवेली विधानसभा में किए जा रहे प्रचार में भी अधिकतर पुराने नेताओं की अनुपस्थिति आलाकमान के लिए चिता का कारण बनी हुई है, क्योंकि अंतर्कलह और गुटबाजी के कारण जिले में हुए डीडीसी चुनावों में भाजपा द्वारा लगभग जीती हुई 2 सीटें गंवाई थीं, ऐसे में विधानसभा चुनावों में सभी को साथ लेकर चलना अंतर्कलह और गुटबाजी से पार पाना भाजपा के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है...
    
 अपने-अपने तरीके से रिझा रहे उम्मीदवार मतदाताओं को अल्पसंख्यक समुदाय का वोट होगा निर्णायक...  25 सितंबर को दूसरे फेस में हवेली विधानसभा पर होने वाले मतदान के लिए उम्मीदवारों द्वारा अपने समर्थकों के साथ मिलकर दिन-रात ऐड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए मतदाताओं को रिझाने के लिए कई तरह के वायदे किए जा रहे हैं और मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए जोर लगाया जा रहा है। उम्मीदवारों द्वारा दूर-दूर जाकर बैठकें आयोजित कर खुद को सच्चा हितैषी बताया जा रहा है और क्षेत्रीय विकास का दम भरा जा रहा है। वहीं जानकारों के अनुसार इस बार चुनावों में अल्पसंख्यक(हिन्दू/सिख) समुदाय का वोट किसी भी उम्मीदवार की जीत में एहम भूमिका निभा सकता है जिसके चलते सभी उम्मीदवार अल्पसंख्यक वोट पर नजर रखे हैं।

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