Edited By Sunita sarangal, Updated: 23 Sep, 2024 12:33 PM
तीनों ही उम्मीदवार अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं जबकि नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के उम्मीदवार भी किसी से पीछे नहीं हैं।
उधमपुर: उधमपुर जिले में परिसीमन के बाद 3 विधानसभा को बांट कर 4 कर दिया गया जिसमें उधमपुर को 2 भागों में बांटा गया है। उधमपुर पूर्व की विधानसभा सीट पर मुकाबला बहुकोणीय है जिसमें भाजपा से रूठे हुए 2 उम्मीदवार पार्टी केंडिडेट के लिए भी जीत सुनिश्चित करने में मुश्किल पैदा करेंगे। वहीं मुख्य मुकाबला 4 उम्मीदवारों के बीच है और इन सभी की प्रतिष्ठा दाव पर है और किसी एक की जीत राजनीतिक भविष्य भी तय करेगी।
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उधमपुर जिले की 3 अन्य सीटों में उधमपुर पश्चिम, चिनैनी अब ओपन हो गई है और रामनगर को आरक्षित कर दिया गया है। इससे सभी सीटों के समीकरण बदल गए हैं। उधमपुर जिले में लगभग 37 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 6 को छोड़कर शेष सभी नए चेहरे हैं। जो 6 पुराने चेहरे हैं उनमें से चार पूर्व विधायक पवन कुमार गुप्ता, आर.एस. पठानिया, बलवंत सिंह मनकोटिया तथा हर्ष देव सिंह हैं। उधमपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर बहुकोणीय मुकाबला है। उम्मीदवार को लेकर पहले इस सीट पर भाजपा में काफी असमंजस की स्थिति रही। सीट पर भाजपा की ओर से 3 दावेदार थे और हाईकमान के लिए उम्मीदवार चुनना मुश्किल हो गया और आखिरकार आर.एस. पठानिया को उम्मीदवार बनाया गया जो पहले रामनगर से 2014 में विधायक रहे।
पार्टी कार्यकर्त्ताओं में बढ़ी नाराजगी के चलते भाजपा में करीब 35 वर्षों तक सेवा देने वाले पवन खजूरिया जोकि पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे, ने पार्टी को अलविदा कहकर इस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इसको लेकर कार्यकर्ताओं में भी काफी नाराजगी दिखी तथा काफी सारे कार्यकर्ता उनके साथ चले गए। दूसरे बड़े नेता बलवान सिंह को भी जब टिकट मिलने में आनाकानी हुई तो पहले ही भाजपा छोड़ पैंथर्स इंडिया का दामन थाम लिया और अब नई पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस पार्टी के गठबंधन के चलते यह सीट नेशनल कांफ्रेंस के हिस्से आई है जिसमें सुनील वर्मा को टिकट दिया गया है। सुनील वर्मा पहले भी वर्ष 2014 में नेशनल कांफ्रेंस पार्टी की टिकट पर उधमपुर सीट से चुनाव लड़े थे तथा हार गए थे। वहीं इस बार कांग्रेस पार्टी का भी उन्हें समर्थन प्राप्त है।
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उधमपुर पूर्व में कुल मतदाताओं की संख्या 1,00,690 है जिनमें 52,611 पुरुष तथा 48,079 महिला मतदाता हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव आयोग की ओर से 157 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इस सीट पर न सिर्फ उधमपुर वासियों की बल्कि पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि यह सीट हर एक पार्टी के लिए भाजपा के उम्मीदवार तथा भाजपा को छोड़कर उम्मीदवारों के बीच ही असली टक्कर दिखाई दे रही है। तीनों ही उम्मीदवार अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं जबकि नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के उम्मीदवार भी किसी से पीछे नहीं हैं। उनके द्वारा भी जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है।
इस सीट पर जाति समीकरण भी काफी हद तक उम्मीदवारों को जीत दिलाने में अहम योगदान देंगे। कोई भी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार जातिवाद के समीकरणों को दरकिनार नहीं कर रहा है। वे हर वह दाव आजमा रहा हैं, जिससे जीत मिले। जबकि मतदाता सबके दाव-पेंच खामोश होकर देख रहा है और वह अपना निर्णय 1 अक्तूबर 2024 को होने वाले तीसरे चरण के चुनाव दौरान अपने मताधिकार का उपयोग कर सुनाएगा कि उनको लुभाने में कौन-सा उम्मीदवार कामयाब रहा है। वहीं 8 अक्तूबर 2024 को होने वाली मतगणना के उपरांत ही पता चल सकेगा कि कौन-से उम्मीदवार की मेहनत रंग लाई तथा किन को निराशा हाथ लगी है और उधमपूर पूर्व का जनप्रतिनिधि बन कर उभरा है। पी.डी.पी. ने यहां बकील सिंह को मैदान में उतारा है।
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वा, बड़ और वाक्या
उधमपुर में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है कि शहर में तीन चीजें बड़ी प्रसिद्ध हैं और वह है वा (हवा), बड़ (वृक्ष) और वाक्या (घटनाक्रम)। उधमपुर के सामने पत्नीटॉप और चिनैनी-शुद्धमहादेव के पहाड़ हैं और बीच में तवी नदी बहती आ रही है। उधमपुर नीचे बसा है और पत्नीटॉप एवं नत्था टॉप से चलने वाली हवा उधमपुर में सीधे आती है। दूसरा वहां पर वट वृक्ष बहुत हैं और तीसरा शहर में कोई न कोई घटनाक्रम वाक्या बन जाता है जिससे यह तीन शब्द प्रसिद्ध हैं। चुनावों में अब जनता के बीच वाक्या ज्यादा चर्चित हो गए हैं।
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