Edited By Sunita sarangal, Updated: 14 Feb, 2025 04:45 PM
![kashmiri dogri language will add in syllabus](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_16_44_464946155kashmiridogrilanguagewi-ll.jpg)
विशेष रूप से पूर्व के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों में इस मांग को लेकर अधिक समर्थन मिल रहा है।
जम्मू: जम्मू-कश्मीर सरकार क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार स्कूलों में पहली कक्षा से 10वीं तक कश्मीरी और डोगरी भाषाओं को विषय के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। यह पहल उन क्षेत्रों में लागू की जाएगी जहां ये भाषाएं बोली जाती हैं।
इस कदम के पीछे कश्मीरी भाषा संघ (के.एल.यू.) सहित विभिन्न हितधारकों की वर्षों से चली आ रही मांगें हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के एक आधिकारिक पत्र के अनुसार इस प्रस्ताव को आगे की चर्चा और लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन और स्कूल शिक्षा निदेशालय (जम्मू और कश्मीर) को भेजा गया है।
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डिप्टी सी.एम. और के.एल.यू. की पहल से मिली गति
कश्मीरी भाषा संघ के अध्यक्ष ने डिप्टी मुख्यमंत्री के साथ मिलकर ज्ञापन सौंपा था जिसमें कश्मीरी और डोगरी भाषाओं को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने और विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की भर्ती की मांग की गई थी। सरकार की यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) 2020 के अनुरूप है, जो मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा देने पर जोर देती है, जिससे छात्रों के संज्ञानात्मक विकास और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलती है।
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पूर्व के डोडा जिले में कश्मीरी भाषा की बढ़ती मांग
विशेष रूप से पूर्व के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों में इस मांग को लेकर अधिक समर्थन मिल रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार इन जिलों में 46 प्रतिशत से अधिक आबादी कश्मीरी भाषा बोलती है। स्कूल शिक्षा विभाग के उप निदेशक (योजना, विकास और निगरानी) रविंदर सिंह ने संबंधित अधिकारियों को ज्ञापनों की समीक्षा करने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
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‘रहबर-ए-जुबान’ योजना के तहत शिक्षकों की भर्ती का सुझाव
प्रस्ताव में सबसे अहम मांग कश्मीरी और डोगरी भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशिक्षित शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इन भाषाओं को प्रभावी रूप से स्कूलों में लागू नहीं किया जा सका है। इस समस्या के समाधान के लिए के.एल.यू. ने ‘रहबर-ए-जुबान’ योजना शुरू करने की वकालत की है। यह योजना अन्य रोजगार पहलों की तर्ज पर होगी, जिसमें भाषा विशेषज्ञों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएंगे और क्षेत्रीय शिक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा।
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विज्ञान शिक्षा के लिए भी उठी मांग
इसी बीच कृषि उत्पादन, ग्रामीण विकास और पंचायत राज, सहकारिता और चुनाव विभाग के मंत्री ने भी एक अलग मांग सरकार के सामने रखी है। उन्होंने मुख्यधारा के पाठ्यक्रम में जीव विज्ञान (बायोलॉजी) को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने और लैक्चरर पदों को बहाल करने की मांग की है।
उच्चस्तरीय बैठकों में चर्चा, उपराज्यपाल का समर्थन
कश्मीरी भाषा संघ के पदाधिकारियों ने शिक्षा मंत्री सकीना इत्तू, डोडा के विधायक मेहराज मलिक और डिप्टी सी.एम. सुरिंदर चौधरी के साथ इस विषय पर चर्चा की है। हाल ही में उन्होंने उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से भी मुलाकात की, जिन्होंने इस प्रस्ताव को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
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