'DPAP' के बाद अब इस पार्टी को लगा झटका, वरिष्ठ नेता ने टिकट के जुगाड़ में बदला पाला

Edited By Neetu Bala, Updated: 18 Aug, 2024 12:35 PM

senior leader changed sides to arrange for ticket

अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता चौधरी जुल्फिकार भी पार्टी छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले हैं।

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में लगभग 10 वर्ष बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों की घोषणा के तुरंत बाद राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं ने अपनी टिकट सुरक्षित करने को लेकर पाला बदलना भी शुरू कर दिया है। विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद बदले समीकरण को देखते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं ने उन पार्टियों का दामन थामने का मन बनाया है जहां से वह आसानी से जीत सुनिश्चित कर सकते हैं।

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शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की पार्टी डी.पी.ए.पी. को उस समय बड़ा झटका लगा जब वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री ताज मोहियुद्दीन ने पार्टी को अलविदा कह दिया। बताया जा रहा है कि वह कांग्रेस में शामिल होंगे।उन्होंने प्रैस कांफ्रैंस कर बताया कि 4 दशक कांग्रेस में रहने के बाद वह डी.पी.ए.पी. के साथ जुड़े। अब समर्थकों एवं जनता की आकांक्षाओं के अनुसार वह पुन: जल्द कांग्रेस में शामिल होंगे। 

इसी तरह कश्मीर में अपना आधार बना रही अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता चौधरी जुल्फिकार भी पार्टी छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार चौधरी जुल्फिकार रविवार को जम्मू में भाजपा के मुख्यालय में पार्टी का दामन थामेंगे। हालांकि शनिवार को उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर के सियासी हालात समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की।

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जुल्फिकार के पिता नैकां में मंत्री रहे हैं और उन्होंने भी अपना राजनीतिक कैरियर पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी के साथ शुरू किया और दरहाल से विधायक बने और बाद में उन्हें पी.डी.पी. ने मंत्री भी बनाया। पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन टूटने और अनुच्छेद 370 टूटने के बाद वह सईद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी में शामिल हो गए।

केंद्र सरकार की ओर से पहाड़ी समुदाय को भी आरक्षण दिए जाने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थामना मुनासिब समझा। राजौरी के दरहाल इलाके में काफी संख्या पहाड़ियों की है और उन्हें गुज्जर नेता होने का भी लाभ मिल सकता है। राजौरी जिले में दूसरे चरण के तहत 25 सितम्बर को चुनाव होना है। आने वाले दिनों में और नेता भी टिकट को लेकर पार्टियों को बाय-बाय कह सकते हैं।
 

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