Edited By Sunita sarangal, Updated: 30 Jan, 2025 05:34 PM
जब एस.एच.ओ. ने उनकी गाड़ी के पास आकर उनसे शोर-शराबा न करने और सड़क से अपनी गाड़ी हटाने का अनुरोध किया
जम्मू(तनवीर सिंह): एस.एच.ओ. बख्शी नगर द्वारा सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों सुरेश कुमार और चंदर शेखर (दोनों सगे भाई) को थर्ड डिग्री टॉर्चर और दुर्व्यवहार किए जाने के बारे में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा दी गई हालिया रिपोर्टों का जम्मू पुलिस द्वारा पुरजोर खंडन किया गया है। पुलिस का कहना है कि ये खबरें पूरी तरह से गुमराह करने वाली और वास्तव में गलत हैं।
पुलिस अधिकारियों ने जानकारी देते बताया कि 13 जनवरी (लोहड़ी) की मध्य रात्रि एस.एच.ओ. बख्शी नगर गश्त ड्यूटी कर रहे थे। इस दौरान जब वह आर्य समाज मंदिर, बख्शी नगर के पास पहुंचे तो उन्होंने पाया कि 3-4 व्यक्तियों ने अपनी गाड़ी जेके 17 8314 को सड़क के बीच में पार्क किया था। साथ ही बख्शी नगर बाजार जो कि एक प्रमुख आवासीय क्षेत्र भी है, में एक दूसरे के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए लड़ रहे थे।
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जब एस.एच.ओ. ने उनकी गाड़ी के पास आकर उनसे शोर-शराबा न करने और सड़क से अपनी गाड़ी हटाने का अनुरोध किया तो आरोपी चंद्र शेखर और सुभाष कुमार ने एस.एच.ओ. के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। एस.एच.ओ. ने धैर्य दिखाते हुए मामले को शांत करने की कोशिश की लेकिन उक्त सुरेश कुमार और चंद्र शेखर ने पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया। इस हमले में एस.पी.ओ. अनिल शर्मा और एस.पी.ओ. जय कृष्ण घायल हो गए। यह सारी घटना पास में लगे सी.सी.टी.वी. में कैद हो गई है। जांच अधिकारी ने उनके दुर्व्यवहार और पुलिस पार्टी पर हमले का सी.सी.टी.वी. फुटेज भी इक्ट्ठा किया है जो महत्वपूर्ण सबूत का हिस्सा है। पुलिस ने इस घटना को अपने मोबाइल फोन के कैमरों में भी रिकॉर्ड किया है जो सबूत का हिस्सा है।
एस.पी.ओ. अनिल शर्मा और एस.पी.ओ. जय कृष्ण को घायल हालत में इलाज के लिए जी.एम.सी. में ट्रांसफर कर दिया गया और उक्त आरोपियों को डीके बासु मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के बाद पुलिस स्टेशन बख्शी नगर में विभिन्न धाराओं के तहत जी.एम.सी., जम्मू से उनके मेडिकल के बाद रात को एक बजे गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और उनकी गिरफ्तारी को अवैध हिरासत नहीं कहा जा सकता।
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यहां यह उल्लेख करना उचित है कि लिखने की गलती के कारण झगड़े (आई.पी.सी. की धारा 160) की जगह अनजाने में धारा 160 बी.एन.एस. जोड़ दी गई थी। जांच के पहले चरण में ही इसे ठीक कर दिया गया और धारा 194 बी.एन.एस. जोड़ दी गई।
लॉकअप और परिसर सहित पूरा पुलिस स्टेशन सी.सी.टी.वी. की निगरानी में है और आरोपियों को कोई शारीरिक यातना या थर्ड डिग्री नहीं दी गई। उनके परिवार के सदस्य अगली सुबह बख्शी नगर पुलिस स्टेशन गए और उन्हें आरोपियों से मिलने दिया गया। उनका मेडिकल सरकारी मेडिकल कॉलेज जम्मू से कराया गया और अगले दिन माननीय अदालत से 24 घंटे के भीतर उनका रिमांड मांगा गया। उक्त आरोपी 14 जनवरी से 17 जनवरी 2025 तक जेल में बंद रहे और 15 जनवरी को अम्फाला जेल में बंद रहे। माननीय कोर्ट ने भी 15 जनवरी को तत्काल मामले में आरोपी व्यक्तियों को जमानत दे दी।
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एस.एच.ओ. बख्शी नगर आजाद अहमद मन्हास एक पेशेवर पुलिस अधिकारी हैं। उन्हें दो राष्ट्रपति वीरता पदक और दो जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक, डी.जी. डिस्क से सम्मानित किया गया है और आगे शौर्य चक्र वीरता पदक के लिए उनका नाम भेजा गया है। उन्होंने घाटी में 5 साल और जम्मू संभाग में 5 साल आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेवा की है और अपनी बहादुरी और असाधारण साहस के लिए वह जाने जाते हैं।
जब यह मामला जम्मू और कश्मीर पूर्व सेवा लीग के सम्मानित सदस्यों और अन्य लोगों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया, तो तुरंत सुपरवाइजर अधिकारी से घटना की रिपोर्ट मांगी गई और इस संबंध में एस.एच.ओ. बख्शी नगर से स्पष्टीकरण भी मांगा गया। जम्मू पुलिस पूरी तरह कार्यरत है और बिना किसी बाहरी प्रभाव के जांच और कानून-व्यवस्था, सार्वजनिक शांति आदि बनाए रखने का अपना कार्य जारी रखे हुए है।
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