Edited By Sunita sarangal, Updated: 31 Oct, 2024 04:32 PM
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए पिछले दिनों अपनी पार्टी की सभी इकाईयों को भंग कर दिया
जम्मू: जम्मू-कश्मीर में दो बार सत्ता पर काबिज रही जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी विधानसभा चुनावों में 3 सीट पर सिमट गई। कभी उसने 28 सीटें जीत कर भाजपा और उससे पहले अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन इस बार कश्मीर की आवाम ने पी.डी.पी. को दरकिनार करते हुए नेकां पर भरोसा जताया और उसे 42 सीटें मिलीं और कुछ निर्दलियों के सहयोग से आसानी से सरकार बना दी। लेकिन पी.डी.पी. को ऐसे नतीजों का अंदेशा नहीं था और अब पार्टी संगठनात्मक स्तर पर आधार बढ़ाने के लिए बदलाव लाएगी।
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जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए पिछले दिनों अपनी पार्टी की सभी इकाईयों को भंग कर दिया ताकि नए सिरे से जिला, तहसील एवं प्रदेश स्तर पर पार्टी में बदलाव कर संगठन को खड़ा किया जाए और जिम्मेदारी तय की जाए। इसके लिए पार्टी स्तर पर मंथन किया गया कि आखिर कहां पार्टी से चूक हुई। हालांकि अधिकांश सीटों पर कश्मीर में पी.डी.पी. दूसरे स्थान पर रही है और कुछ स्थानों पर बड़े कम अंतर से उम्मीदवार चुनाव हार गए। पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की ओर से स्वयं चुनाव न लड़ना भी पार्टी के लिए घातक साबित हुआ। हालांकि उन्होंने प्रचार में भाग लिया परन्तु कार्यकर्ताओं में जो उत्साह वह स्वयं भर सकती थीं, वह उम्मीदवार नहीं भर सके। उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी चुनाव हार गईं जबकि बिजबहेड़ा पी.डी.पी. का गढ़ रहा है और महबूबा एवं स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद वहां से जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री तक बने।
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अब पार्टी में नए सिर से जान फूंकने के लिए कश्मीर में आधार को दोबारा बढ़ाया जाएगा। इसके लिए पार्टी नए सिरे से अभियान चलाएगी ताकि जनता में विश्वास पैदा किया जा सके। अगर मौजूदा गठबंधन सरकार अपने वादों को अमल में लाने में विफल रहती है और केंद्र से टकराव बढ़ता है तो पी.डी.पी. को अपना आधार कायम करने में आसानी होगी। दूसरा पार्टी अब ऐसे लोगों को पदभार सौंपेगी जो सही मायने में पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं और उनका जमीनी आधार है। पार्टी ने जम्मू संभाग के राजौरी-पुंछ जिले में अपना आधार बनाया था परन्तु अब फिर आधार खिसक गया तथा जो नेता पहले जुड़े वे भी पार्टी को छोड़ कर चले गए। ऐसे में अब पी.डी.पी. बड़ी सावधानी से अपने संगठनात्मक निर्णय लेगी ताकि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में फिर अपने महत्व को कायम किया जा सके।
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