Edited By Sunita sarangal, Updated: 10 Sep, 2024 05:49 PM
इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में उनके समुदाय के ज्यादा लोग न होने के बावजूद उन्हें कोई कठिनाई नहीं हुई।
जम्मू-कश्मीर: कश्मीर घाटी में गत तीन दशकों से अधिक समय तक जारी रहने वाले आतंकवाद एवं उपद्रवों के माहौल के उपरांत बदलते परिवेश में कई सुखद एवं सकारात्मक बातें होती हुई दिखाई दे रही हैं। इसी श्रृंखला में आगामी विधानसभा चुनावों में एक महिला कश्मीरी पंडित चुनाव लड़ेगी। ऐसा पहली बार होगा जब इस समुदाय से संबंधित एक महिला प्रत्याशी कश्मीर घाटी में चुनाव लड़ रही है।
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दिल्ली में एक निजी कंपनी में कार्य करने वाली डेजी रैणा दक्षिण कश्मीर के जिला पुलवामा के फ्रिसल गांव की सरपंच भी रह चुकी हैं। उन्हें रामदास अठावले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने चुनाव मैदान में उतारा है। पुलवामा जिले के राजपोरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाली रैणा का कहना है कि उन्हें युवाओं ने चुनाव लड़ने के लिए विवश किया जो चाहते हैं कि वे उनकी आवाज बनें। उनका कहना है कि वह वहां एक सरपंच के रूप में करते हुए स्थानीय युवाओं से मिलने, उनकी बातें सुनने एवं उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास कर रही थीं।
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युवाओं को बिना किसी दोष के पीड़ित बताते हुए डेजी कहती हैं कि 1990 के दशक में कश्मीर में पैदा हुए युवाओं ने सिर्फ गोलियां ही देखी हैं। उनका कहना है कि उन्होंने चुनाव लड़ने के बारे में सोचा भी नहीं था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में उनके समुदाय के ज्यादा लोग न होने के बावजूद उन्हें कोई कठिनाई नहीं हुई।
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