Edited By Sunita sarangal, Updated: 18 Oct, 2024 10:19 AM
वहीं जम्मू-कश्मीर विधानसभा की अनुपस्थिति में संसद द्वारा वित्त वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 सहित केंद्र शासित प्रदेश के बाद के बजट पेश किए गए और पारित किए गए।
जम्मू: संसद में 5 बजट पेश किए जाने के बाद आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जम्मू-कश्मीर का बजट विधानसभा में नए वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ 5 मंत्रियों द्वारा शपथ लेने के उपरांत विभागों का बंटवारा होना अभी बाकी है तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के प्रथम वित्त मंत्री का पदभार संभालने वाले व्यक्ति को प्रदेश का पहला बजट पेश करने का गौरव हासिल होगा।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार में वित्त मंत्री डॉ. हसीब द्राबू द्वारा 11 जनवरी 2018 को विधानसभा में वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 80,313 करोड़ रुपए का जम्मू-कश्मीर राज्य का आखिरी बजट पेश किया था तथा जून 2018 में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से भाजपा द्वारा समर्थन वापस ले लेने के बाद सरकार का पतन हो गया था जिसके उपरांत नवंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी गई थी। उसके उपरांत तत्कालीन राज्यपाल सत्य पाल मलिक की अध्यक्षता वाले राज्य प्रशासनिक परिषद (एस.ए.सी.) ने 15 दिसंबर 2018 को 88,911 करोड़ रुपए का बजट पारित किया था।
वहीं जम्मू-कश्मीर विधानसभा की अनुपस्थिति में संसद द्वारा वित्त वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 सहित केंद्र शासित प्रदेश के बाद के बजट पेश किए गए और पारित किए गए। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गत 23 जुलाई को संसद में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का 1,18,728 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया हालांकि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संसद में गत 5 फरवरी को केंद्र शासित प्रदेश का लेखानुदान लिया गया।
अधिकारियों के अनुसार नए वित्त मंत्री की नियुक्ति के तुरंत बाद बजट के दस्तावेजों का विभागवार आकलन करने के अलावा संबंधित दस्तावेजों को अंतिम रूप देने के साथ ही बजट की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। वहीं वर्तमान चालू वित्त वर्ष से जम्मू-कश्मीर पुलिस के बजट को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुदान में शामिल कर दिया गया है।
इसी बीच विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर के अपने वित्तीय संसाधन भी नई सरकार के लिए चिंता का विषय होंगे क्योंकि सत्ताधारी पार्टी नेकां द्वारा कुछ मुफ्त सुविधाएं देने संबंधी की गई घोषणाओं के चलते सरकार को आम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतारने के लिए नए वित्त मंत्री हेतु यह एक कठिन कार्य होगा।
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