Youth को बर्बाद कर रहा Drugs, चौंकाने वाली Report आई सामने

Edited By Sunita sarangal, Updated: 07 Oct, 2024 11:37 AM

drugs in youngsters

बच्चे के स्वभाव में बदलाव दिखे तो अलर्ट हो जाएं। नशे की लत लगने पर सबसे पहले स्वभाव में बदलाव आता है।

जम्मू डेस्क: नशा (Drugs) बर्बादी का दूसरा नाम है जो आज कल किशोरों (Youngsters) को अपनी ओर तेजी से खींच रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 5 फीसदी आबादी नशे के खतरनाक स्तर को पार कर चुकी है। वहीं अधिकतर कॉलेज के विद्यार्थी नशे की ओर खींचे जा रहे हैं। नशा एक ऐसा जहर है कि जो इंसान को खोखला बना देता है और उसे पता ही नहीं चलता। अभिभावक बच्चों को स्कूल-कॉलेज इसलिए भेजते हैं, ताकि उनके बच्चे पढ़-लिखकर अच्छे इंसान बन सकें, लेकिन कुछ छात्र नशे का शिकार हो रहे हैं। ऐसे छात्रों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

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वहीं नशे के कारण कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। देश में अधिकतर मौतों का कारण भी नशा है। कहीं किसी की मौत हार्ट अटैक से हो रही है तो कहीं फैफड़े खराब होने के कारण। वहीं कुछ लोग नशे वाले इंजैक्शन लगाते हैं। इसकी लत लगने पर लोग इस हद तक विवश हो जाते हैं कि घर में चोरी करने लगते हैं या पैसे न मिलने पर आत्महत्या कर लेते हैं।

सीमा देवी (बदला हुआ नाम) से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि उनके बेटे को नशे की लत लगी हुई थी। कई बार वह उनसे ट्यूशन फीस के बहाने नशा करने के लिए पैसे लेते रहता था। एक दिन वह उसकी ट्यूशन में गई तो वहां जाकर उन्हें पता चला कि उनका बेटा एक महीने से ट्यूशन आया ही नहीं है। जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा नशे करता है तो उन्होंने उस पर निगरानी रखना शुरू कर दी। रंगे हाथों पकड़े जाने पर उन्होंने बेटे को मारने और डांटने की बजाय प्यार से समझाया और आज उनका बेटा नशा मुक्त जीवन जी रहा है।

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मोहन (बदला हुआ नाम) से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने नशा करने के लिए मां के गहने चुरा लिए और चोरी का आरोप पड़ोसियों पर लगा दिया। जब बात पुलिस तक पहुंचने पर आई तो लड़का डर गया। उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। माता-पिता ने उसे पुलिस की धमकी दी कि यदि इस हादसे के बाद वह नशा करते हुए पकड़ा गया तो वह खुद उसे पुलिस के हवाले करेंगे।

कैसे पता करें कि बच्चा नशे कर रहा है?

बच्चे के स्वभाव में बदलाव दिखे तो अलर्ट हो जाएं। नशे की लत लगने पर सबसे पहले स्वभाव में बदलाव आता है। जैसे चिड़चिड़ापन, गुस्सा, मूड अचानक बदलना, घबराहट होना, आंखें लाल होना, सिरदर्द बने रहना, अचानक शरीर का कमजोर होना, अगर ऐसे बदलाव बच्चे में दिखें तो तुरंत सतर्क हो जाएं।

नशे को रोकने के उपाय

डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification) : इसके जरिए शरीर से नशीले पदार्थ साफ होते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को नशे के प्रकार और उसके तरीके के हिसाब से दवा दी जाती है।

थैरेपी (Therapy): थैरेपी व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरीके से हो सकती है। आमतौर पर इसके उपचार की शुरूआत में इन्हें जल्दी-जल्दी किया जाता है।

मेडिसिन (Medicine): नशे के उपचार के लिए नाल्ट्रेक्सोन (Naltrexone), एकैम्प्रोसेट (Acamprosate), डिसुलफिरम (Disulfiram) या एंटाब्यूज (Antabuse) दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

रीहैब (Rehab): नशे की गंभीर स्थिति में रीहैब व्यवस्थाओं को अपनाया जा सकता है। इस दौरान मरीज को एक अलग जगह पर रखकर विभिन्न चरणों में इलाज किया जाता है।

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