Edited By Neetu Bala, Updated: 27 Dec, 2025 05:03 PM

भारत सरकार ने अप्रैल महीने में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया था।
जम्मू डेस्क : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर बन रहे 260 मेगावाट के दुलहस्ती हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के दूसरे चरण को पर्यावरण मंत्रालय की एक कमेटी से मंजूरी मिल गई है। अधिकारियों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। यह मंजूरी ऐसे समय पर दी गई है, जब भारत सरकार ने अप्रैल महीने में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया था।
हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करने वाली एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (EAC) ने इस महीने की शुरुआत में हुई अपनी 45वीं बैठक में इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी। इसके बाद अब इस प्रोजेक्ट के लिए निर्माण से जुड़े टेंडर जारी किए जा सकेंगे। इस परियोजना पर करीब 3,200 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
यह एक ‘रन-ऑफ-द-रिवर’हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट है। इसका मतलब यह है कि इसमें नदी के पानी का रास्ता रोके बिना बिजली बनाई जाती है। ऐसे प्रोजेक्ट में बड़े बांध नहीं बनाए जाते, बल्कि बहते पानी की ताकत से बिजली पैदा की जाती है।
कमेटी की बैठक में बताया गया कि साल 1960 में बनी सिंधु जल संधि के तहत चिनाब नदी के पानी के इस्तेमाल के नियम तय किए गए थे और यह प्रोजेक्ट भी उन्हीं नियमों के अनुसार डिजाइन किया गया था। हालांकि, कमेटी ने यह भी साफ किया कि 23 अप्रैल 2025 से यह संधि सस्पेंड है।
जब तक सिंधु जल संधि लागू थी, तब पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी का अधिकार था, जबकि भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी मिलता था। अब संधि सस्पेंड होने के बाद केंद्र सरकार इंडस बेसिन में कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स पर काम आगे बढ़ा रही है।
इन प्रोजेक्ट्स में सावलकोट, रतले, बरसर, पाकल दुल, कवार, किरू और किरथाई फेज़-I और फेज़-II शामिल हैं।
दुलहस्ती फेज़-II प्रोजेक्ट, पहले से चल रहे 390 मेगावाट के दुलहस्ती फेज़-I का ही विस्तार है। इस पावर प्रोजेक्ट को एनएचपीसी (NHPC) ने साल 2007 में शुरू किया था और यह तब से सफलतापूर्वक बिजली उत्पादन कर रहा है।
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