जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी खतरा, 17 साल बाद तरल विस्फोटक की वापसी

Edited By Sunita sarangal, Updated: 14 Jun, 2024 11:22 AM

liquid explosives in jammu and kashmir

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरवरी, 2022 में जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तानी ड्रोन से फैंके हथियार और गोला-बारूद बरामद किए थे।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के आतंकी परिदृश्य में तरल विस्फोटक 17 साल बाद फिर से वापसी करता दिख रहा है, क्योंकि हाल ही में पुलिस ने एक आतंकवादी ठिकाने पर छापेमारी में ‘लिक्विड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस' बरामद किया है।

अधिकारियों ने कहा कि खुफिया जानकारी मिली है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह अब तरल विस्फोटकों का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा कि इसे एक बड़े खतरे के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि ऐसे विस्फोटकों को ‘डी2डी' श्रेणी में रखा जा सकता है।

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ड्रोन से भेजे जाने का शक

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरवरी, 2022 में जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तानी ड्रोन से फैंके हथियार और गोला-बारूद बरामद किए थे। बरामद किए गए विस्फोटकों में सफेद तरल की 3 बोतलें भी शामिल थीं। इन बोतलों को एक लीटर की बोतलों में पैक किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि फोरैंसिक जांच से पता चला कि यह ट्राइनाइट्रो टॉलुईन (टी.एन.टी.) या नाइट्रोग्लिसरीन हो सकता है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर डायनामाइट में किया जाता है, लेकिन इस संबंध में अभी अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है। अधिकारियों ने इस आशंका से इंकार नहीं किया कि इस तरह के विस्फोटक कश्मीर घाटी में पहुंचा दिए गए होंगे।

‘लिक्विड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस' का पता लगाना होता है मुश्किल

एक अधिकारी ने बताया कि इस ‘लिक्विड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस' का पता लगाना मुश्किल होता है और इसलिए इसे डिफीकल्ट टू डीटैक्ट (डी2डी) श्रेणी में रखा गया है।

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लश्कर आतंकी रियाज डार व रईस डार के ओवर ग्राउंड वर्कर ने किया था खुलासा

इस महीने की शुरूआत में पुलवामा में हुई मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी कमांडर रियाज डार उर्फ सथार और उसका साथी रईस डार मारा गया था। इसके बाद पुलिस ने आतंकवादियों के एक ‘ओवर ग्राउंड वर्कर' (ओ.जी.डब्ल्यू.) को गिरफ्तार किया था। इसी ओ.जी.डब्ल्यू. से तरल आई.ई.डी. बरामद हुआ है।

रियाज डार 2014 में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था और उसने मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादियों अबू दुजाना और अबू इस्माइल के साथ काम किया था। वह कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। रियाज पर 10 लाख रुपए से अधिक का नकद इनाम घोषित था। वहीं, रईस डार पर 5 लाख रुपए का नकद इनाम घोषित था। पुलिस ने मुठभेड़ के तुरंत बाद लश्कर आतंकवादियों के लिए काम करने वाले ओ.जी.डब्ल्यू. के खिलाफ कार्रवाई की और उनमें से चार को गिरफ्तार कर लिया।

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अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ के दौरान एक ओ.जी.डब्ल्यू. ने बताया कि आतंकवादियों को पुलवामा के निहामा के रहने वाले बिलाल अहमद लोन, सज्जाद गनी और शाकिर बशीर ने पनाह और रसद प्रदान की थी। उन्होंने बताया कि इससे आतंकियों के ओ.जी.डब्ल्यू. नैटवर्क का खुलासा हुआ और इन तीनों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान ओ.जी.डब्ल्यू. ने पुलिस को बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के 2 आतंकवादियों ने तरल आई.ई.डी. तैयार किया है। बशीर ने उन्हें बागों में छिपा दिया था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और सेना की टीम ने इसे बरामद किया। सेना के विस्फोटक विशेषज्ञों ने प्लास्टिक कंटेनर में रखे 6 किलोग्राम तरल आई.ई.डी. को नष्ट करने का निर्णय लिया।

आतंकियों ने 2007 में किया था तरल विस्फोटकों का इस्तेमाल

दक्षिण कश्मीर में 2007 के दौरान आतंकवादी गुटों ने तरल विस्फोटकों का इस्तेमाल किया था, लेकिन इसके बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दशक के दौरान ऐसा कुछ नहीं देखा गया।

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