दुनिया भर में मशहूर है यह Kashmiri Dish, क्या आपने कभी की है Try

Edited By Sunita sarangal, Updated: 03 Aug, 2024 11:51 AM

kashmiri dish wazwan

अलग-अलग जगहों का पहनावा, भाषा, खान-पान, तौर-तरीके और व्यंजन अलग-अलग हैं।

श्रीनगर(मीर आफताब): हमारे देश के हर हिस्से की अपनी एक अलग और विशिष्ट पहचान है। हर जगह की अपनी पहचान है। अलग-अलग जगहों का पहनावा, भाषा, खान-पान, तौर-तरीके और व्यंजन अलग-अलग हैं। इसी तरह कश्मीरी डिश वाज़वान की भी अपनी अलग पहचान है। कश्मीर का पारंपरिक वाज़वान दुनिया भर के सबसे अच्छे व्यंजनों में से एक माना जाता है।

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कश्मीर घाटी अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए तो दुनिया भर में मशहूर है ही, यहां का पारंपरिक वाज़वान भी दुनिया भर में मशहूर है। कश्मीरी सभ्यता और संस्कृति समेत यहां का खाना अपने अनोखे अंदाज और स्वाद के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। आज यहां 25 से ज्यादा व्यंजन परोसे जाते हैं, जो मांस से तैयार किए जाते हैं और इसे बनाने के लिए लगभग एक टीम होती है, जिसे वाजा कहा जाता है। उनमें से एक है हेड वाज़ा।

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वज़ावन एक पारंपरिक कश्मीरी व्यंजन है, जो कई व्यंजनों पर आधारित है, इसमें हर तरह के स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं। जिन्हें शादी और सगाई जैसे विशेष अवसरों पर बनाया जाता है, लेकिन नियमित औपचारिक वज़ावान एक शाही दावत की तरह होते हैं। दरअसल, वाज़वान का मतलब वाजा के हाथ से बना खाना होता है।  कश्मीरी वाज़वान मांस के व्यंजनों की दावत है जिसे कश्मीर घाटी के लोग विभिन्न अवसरों जैसे शादी, सगाई या कई अन्य कार्यक्रमों पर तैयार करते हैं।

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कश्मीर के पारंपरिक वाज़वान बनाने वाले रसोइयों का कहना है कि वे दो दशकों से इस काम में लगे हुए हैं। वहीं वाज़वान के व्यंजनों में लगातार वृद्धि हो रही है, रसोइयों का कहना है कि वे इस काम से काफी संतुष्ट हैं। कश्मीर घाटी में शादी समारोह का अपना अनोखा अंदाज होता है। इन मौकों पर मेहमानों के लिए अलग-अलग और उच्च गुणवत्ता वाले व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जिसमें पारंपरिक व्यंजन वाज़वान सबसे प्रमुख है क्योंकि यहां के वाज़ों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहां की एक आम कहावत यह है कि यहां शादियां वाज़वान के बिना अधूरी मानी जाती हैं। वाज़वान की तैयारी के लिए मांस और विभिन्न प्रकार के सुगंधित मसालों की आवश्यकता होती है जबकि शादी के मौके पर वाज़वान बनाने में लाखों रुपए खर्च होते हैं। वाज़वान तैयार होने के बाद इसे शादी के मौके पर चार लोग तारामी में एक जगह बैठकर चावल के साथ खाते हैं।

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