Edited By Neetu Bala, Updated: 14 Oct, 2024 01:19 PM
आदेशों पर अमलीजामा पहनाने के लिए भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी।
जम्मू : जम्मू कश्मीर में 15 सालों के बाद नैशनल कांफ्रैंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और पहले वाले ठाठ-बाठ नहीं होंगे। केंद्र शासित प्रदेश में ज्यादातर अधिकार केंद्रीय प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल के पास ही रहेंगे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार की असली चाबी उपराज्यपाल प्रशासन के पास ही रहेगी। अनुच्छेद 370 के रहते जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के पास असीमित शक्तियां हुआ करती थी लेकिन अब शक्तियां सीमित ही रहेगी। आदेशों पर अमलीजामा पहनाने के लिए भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी।
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ऐसे में नैशनल कांफ्रैंस खासतौर से मुख्यमंत्री बनने वाले उमर अब्दुल्ला के लिए अपनी पार्टी के एजेंडे और घोषणा पत्र को लागू करवाना आसान नहीं होगा। नैशनल कांफ्रैंस ने घोषणा पत्र में दरबार मूव को बहाल करने के अलावा शहीदी दिवस को बहाल करने, जेलों में बंद राजनीतिक कैदियों को रिहा करवाने सहित कई वादे किए हुए हैं। ये ऐसे वादे हैं कि जोकि नैशनल कांफ्रैंस और मुख्यमंत्री केंद्र शासित प्रदेश में अपने बलबूते लागू नहीं करवा पाएंगे।
उन्हें इसके लिए उपराज्यपाल के अलावा केंद्र की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी। कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर की मानें तो केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर उमर अब्दुल्ला केवल सिफारिश कर पाएंगे। उसे मानना या न मानना उपराज्यपाल के विवेक पर नर्भिर करेगा।
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