Edited By Neetu Bala, Updated: 29 Aug, 2024 03:44 PM
एन.जी.टी.) ने कश्मीर में डल झील में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए ‘सुधार के त्वरित' कदम उठाने के लिए एक समिति गठित की है।
जम्मू-कश्मीर : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) ने कश्मीर में डल झील में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए ‘सुधार के त्वरित' कदम उठाने के लिए एक समिति गठित की है। झील की बिगड़ती दशा से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे अधिकरण ने कहा कि अशोधित जलमल जैसे प्रदूषकों को उसमें जाने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
हाल ही के अपने एक आदेश में एन.जी.टी. के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जे.एंड के.पी.सी.सी.) ने एक रिपोर्ट दाखिल कर बताया है कि अशोधित जलमल को डल झील में बहाया जा रहा है तथा डल एवं निगीन झील में करीब 910 ‘हाऊसबोट' हैं एवं उनके अपशिष्ट जल को इसी झील में छोड़ा जा रहा है।
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न्यायमूर्ति श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी एवं विशेषज्ञ समिति ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा, ‘उक्त जवाब से इन जलाशयों में अशोधित घरेलू पानी के बेरोकटोक प्रवाह और नमूना विश्लेषण रिपोर्ट में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन का पता चलता है, क्योंकि जैव-रासायनिक ऑक्सीजन डेमन (बी.ओ.डी.), कुल ‘कोलीफॉर्म' और ‘फेकल (जलमल संबंधी) कोलीफॉर्म' आदि की उच्च सांद्रता पाई गई है।' पीठ ने कहा कि झील से संबंधित 2 नहरें/जलधारा (नयादर और जोगिलंकर) ‘उच्च कार्बनिक भार' के कारण ‘लगभग अवायवीय (ऑक्सीजन की भारी कमी)' हो गई हैं तथा जलमल शोधन संयंत्र (एस.टी.पी.) ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
अधिकरण ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाने की जरूरत है कि अशोधित जलमल समेत प्रदूषक झील में न जाएं। इसलिए हम एक संयुक्त समिति बना रहे हैं।'
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समिति को मिला 3 माह का समय, 2 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
एन.जी.टी. ने कहा कि इस संयुक्त समिति में जे.एंड के.पी.सी.सी. के सदस्य सचिव, जम्मू-कश्मीर झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, श्रीनगर के उपायुक्त एवं जिलाधिकारी तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा नामित एक वरिष्ठ अधिकारी होंगे। अधिकरण ने कहा कि समिति झील में प्रदूषण के स्रोतों और उसे फैलाने वाले व्यक्तियों/ निकायों का पता लगाकर दंडात्मक कार्रवाई करेगी एवं सुधार के जरूरी कदम उठाएगी तथा वह ‘हाऊसबोट' के सिलसिले में पर्यावरण प्रबंधन दिशा-निर्देश भी तैयार करेगी। समिति को 3 महीने का समय मिला है। मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।