Edited By Neetu Bala, Updated: 23 Sep, 2024 08:13 PM
इस विधानसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस के मध्य होगा।
जम्मू-कश्मीर डेस्क : जम्मू-कश्मीर में चुनावी बिगुल बज गया है। यहां 10 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं। वर्ष 2022 में अस्तित्व में आई श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव को लेकर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। इस विधानसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस के मध्य होगा। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस भी अपना प्रभाव छोड़ सकती है।
श्री माता वैष्णो देवी के नाम पर नई विधानसभा सीट को बनाया गया है। यह क्षेत्र रियासी के कुछ हिस्से को अलग करके बनाया गया है। गौरतलब है कि इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव करवाए जा रहे हैं जो कि 25 सितम्बर को होंगे। पिछले 2 विधान सभा चुनाव की तरह इस बार भी बीजेपी ने बलदेव राज शर्मा को अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। जबकि कॉन्ग्रेस ने भूपेंद्र सिंह पर दांव खेला है। जम्मू में वोटर्स के हिसाब से यह सबसे छोटी सीट है।
साल 2014 में भाजपा के उम्मीदवार बने थे विजयी
पहले यह क्षेत्र रियासी में आता था। वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर भारतीय जनता पार्टी ने जीत प्राप्त की थी और उसके उपरांत लगातार दूसरी बार वर्ष 2014 में भी भारतीय जनता पार्टी का ही उम्मीदवार विजयी हुआ था और अब हैट्रिक बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।
क्यों नाराज हैं बारीदार समाज के लोग
1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन हुआ था। जिसके बाद माता वैष्णो देवी पूर्व पुजारी बारीदारों को वैष्णो देवी भवन से बल पूर्वक खदेड़ा गया था। जिसके बाद से बारीदार 30 अगस्त को दिन काला दिवस मानते हैं।
बारीदार संघर्ष कमेटी के बैनर तले बड़ी संख्या में मां वैष्णो देवी के पूर्व बरीदारों द्वारा प्रदर्शन किए जाते हैं, काला दिवस मनाया जाता है। संघर्ष कमेटी के सदस्य श्राइन बोर्ड के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हैं। मां वैष्णो देवी के पूर्व बारीदार बीते 36 वर्षों से लगातार अपने हक के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं, परंतु अभी तक बारीदारों को उनका हक नहीं दिया गया है।
हालांकि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रैली के दौरान ऊधमपुर में बारीदारों से वादा किया था कि उनका स्थायी हल निकाला जाएगा। अलबत्ता उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री जरूर बारीदारों का हल निकालेंगे। बारीदार समाज की मांग है कि अन्य धार्मिक स्थलों की तरह बारीदारों को भी चढ़ावे में हिस्सेदारी दी जाए, ताकि बारीदार अपने परिवार का पोषण कर सकें।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here