Edited By Sunita sarangal, Updated: 22 Nov, 2024 03:07 PM
पी.डी.पी. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्विटर हैंडल एक्स पर एक वीडियो सांझा करते हुए लिखा कि यह बड़ा दिल तोड़ने वाली घटना है
जम्मू: जम्मू विकास प्राधिकरण (जे.डी.ए.) की ओर से लोअर रूपनगर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के आवासीय परिसर के निकट कुछ दुकानों को तोड़े जाने को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने दुकानें तोड़ने की निंदा की है। अपनी रोजमर्रा की रोजीरोटी चला रहे इन कश्मीरी विस्थापितों की दुकानें तोड़े जाने पर नेताओं ने इन्हें पुनर्वासित करने के लिए कहा है ताकि वे अपना जीवन यापन कर सकें।
गौरतलब है कि यह दुकानें उस स्थान पर बनीं थी जहां पहले कश्मीरी विस्थापितों के रहने के लिए गोल क्वार्टर बने थे और आवासीय परिसर में रहने की जगह मिलने के बाद इन क्वार्टरों को जे.डी.ए. ने नष्ट कर दिया था और कुछ दुकानों को नहीं हटाया था।
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कश्मीरी पंडितों के नेता एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य विजय बकाया ने दुकानें तोड़ने पर जे.डी.ए. की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि यह लोग वहां अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। इन्हें हटाने से पहले उन्हें कहीं पुनर्वासित किया जाना चाहिए था ताकि वे अपने परिवार का लालन-पालन कर सकें। उन्होंने कहा कि बिना बताए जे.डी.ए. ने कार्रवाई की जो निंदनीय है। पहले ही यह लोग कश्मीर से विस्थापित होकर आए हैं और अब जब इनके पास जीवन यापन का कोई साधन नहीं तो इस ढंग से दुकानें तोड़ना न्यायसंगत नहीं है।
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पी.डी.पी. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्विटर हैंडल एक्स पर एक वीडियो सांझा करते हुए लिखा कि यह बड़ा दिल तोड़ने वाली घटना है जहां कश्मीरी पंडितों की दुकानें तोड़ दी गईं और वे असहाय दिखे। उन्होंने कहा कि बिना नोटिस दिए जे.डी.ए. ने कार्रवाई की जो दशकों से तकलीफें झेल रहे हैं। टारगेट के तहत पहले जनजातीय समुदाय के लोगों की संपत्ति को नष्ट किया और अब इन्हें निशाना बनाया गया। उन्हेांने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से तत्काल इस मामले का संज्ञान लेने और सहायता की अपील की। वीडियो शेयर करते हुए विस्थापित कश्मीरी पंडित अपने हाल को ब्यां कर रहे हैं।
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अपनी पार्टी नेता अल्ताफ बुखारी ने भी जे.डी.ए. की इस कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह दुकान इन लोगों के जीवन यापन का साधन थी। उन्होंने कहा कि विभाग को चाहिए कि इन्हें दोबारा वहां अपनी दुकान खड़ी करने दी जाए या फिर किसी उपयुक्त स्थान पर इन्हें जगह प्रदान की जाए। इसी तरह कुछ अन्य संगठनों ने भी दुकानें तोड़े जाने की निंदा करते हुए राहत प्रदान करने का आग्रह किया है।
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