Edited By Sunita sarangal, Updated: 05 Nov, 2024 12:40 PM
सरकारी नीतियों की नाकामी के चलते पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
जम्मू: जम्मू में पॉलिथीन और सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर लगे कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद राज्य में प्लास्टिक प्रदूषण का संकट दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। सरकारी नीतियों की नाकामी के चलते पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। प्लास्टिक का व्यापक इस्तेमाल हमारे जलाशयों, मिट्टी और वन्य जीवन को प्रभावित कर रहा है, जिससे आमजन के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।
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जम्मू-कश्मीर में पॉलिथीन बैग पर 18 जून 2008 से एस.आर.ओ. 182 के तहत प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद 2021 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमैंट संशोधन नियम 2021 के तहत 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले सभी प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लागू कर दिया। इन कड़े नियमों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में पॉलिथीन का इस्तेमाल लगातार जारी है, जिससे नदियां और नहरें गंभीर रूप से प्रदूषित हो रही हैं।
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नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ की जाती है कार्रवाई
जम्मू के स्वास्थ्य अधिकारी विनोद शर्मा ने बताया कि ‘जम्मू म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (जे.एम.सी.) की सीमा में ज्यादातर 120 माइक्रोन से अधिक मोटाई वाले पॉलिथीन बैग का उपयोग हो रहा है। रेहड़ी वालों की तरफ से भी इस नियम का पालन देखा जा रहा है। हालांकि, कुछ लोग अब भी पतले पॉलिथीन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनकी संख्या काफी कम है। लेकिन समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सख्त नियमों के प्रति जागरूक किया जाता है। उन्होंने कहा कि वे बाजार में नियमित रूप से निरीक्षण करते हैं और नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। अक्तूबर 2024 में उन्होंने 23,900 रुपए का जुर्माना किया है। बाहर से आने वाले पॉलिथीन पर भी कड़ी नजर रखी जाती है और उचित जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि जो भी निर्धारित माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलिथीन का उपयोग करेगा, उस पर विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 50,000 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
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जम्मू-कश्मीर में प्लास्टिक प्रदूषण का संकट गंभीर होता जा रहा है। सरकार ने भले ही पॉलिथीन और सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन इस दिशा में कारगर कदमों की कमी और जनता में जागरूकता का अभाव साफ दिखता है। युवाओं और पर्यावरण प्रेमियों के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन असल बदलाव तभी मुमकिन होगा जब सरकारी एजैंसियां और समाज एक साथ मिलकर प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ ठोस और स्थायी कदम उठाएं।
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