Edited By Neetu Bala, Updated: 29 Nov, 2024 08:11 PM
श्रीनगर/जम्मू : उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने राज्य की सुरक्षा के हित में 2 सरकारी कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। गौरतलब है कि आतंकी समर्थकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई कड़ी जांच के बाद स्पष्ट रूप से आतंकी संबंधों की पुष्टि होने के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल करते हुए अब्दुल रहमान नाइका और जहीर अब्बास को बर्खास्त किया है।
बर्खास्त किए गए 2 कर्मचारियों में अब्दुल रहमान नाइका (स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट) देवसर, कुलगाम का निवासी है जो 1992 में मेडिकल असिस्टेंट के रूप में नियुक्त हुआ। गुलाम हसन लोन एक कट्टर राष्ट्रवादी थे और उनके तीनों बेटे सुरक्षा बलों में सेवारत हैं। अगस्त 2021 में आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी। जांच से पता चला कि अब्दुल रहमान नाइका देशभक्त लोगों में आतंक और असुरक्षा की स्थिति पैदा करने के लिए गुलाम लोन की हत्या की साजिश रचने वालों में से एक था। कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि जांच से आगे पता चला है कि अब्दुल रहमान नाइका ने न केवल अपने स्थानीय क्षेत्र कुलगाम में बल्कि पड़ोसी जिले शोपियां और अनंतनाग में भी अलगाववाद और आतंकवाद के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करने, मजबूत करने और फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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गुलाम हसन लोन की हत्या के बाद, पुलिस जांच ने उन ओजीडब्ल्यू के पदचिन्हों को ट्रैक किया जो आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान कर रहे थे। अब्दुल रहमान नाइका और सहयोगियों को आखिरकार हैंड ग्रेनेड और एके 47 गोला-बारूद के साथ पकड़ा गया। रहमान नाइका ने कबूल किया कि उसे पाकिस्तान में बैठे आकाओं से कुलगाम में सुरक्षा बलों और राजनीतिक लोगों पर ग्रेनेड फेंककर आतंकवादी हमला करने के निर्देश मिले थे। उसने यह भी स्वीकार किया कि एक ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में उसका काम लक्ष्यों की टोह लेना था। गुलाम हसन लोन की हत्या में, अब्दुल रहमान नाइका और उसके सहयोगियों ने उसकी गतिविधियों पर नजर रखी थी और हत्या के दिन उसने इलाके की निगरानी बढ़ा दी थी, ताकि आतंकवादियों को पहचाने या रोके बिना सुरक्षित रास्ता मिल जाए। सूत्रों ने कहा कि आगे की जांच के दौरान, हमने हिजबुल मुजाहिदीन के लिए उसकी भूमिका और कृत्यों का पता लगाया और कैसे उसने पुलिस कर्मियों पर हमलों की सुविधा दी।
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वह विभन्नि संगठनों, विशेष रूप से हिजबुल मुजाहिदीन के लिए एक उग्र ओजीडब्ल्यू और कट्टर आतंकवादी सहयोगी रहा है। वह बहुत लंबे समय से खुली छूट पा रहा था। सूत्रों ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल अबू रहमान नाइका जैसे आतंकवादी को वेतन देने के लिए किया गया। उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में सुरक्षा समीक्षा बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों, उनके समर्थकों और व्यवस्था के अंदर उन्हें सहायता देने वालों का सफाया करने की कसम खाई थी।
इसी तरह जहीर अब्बास (स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक) कश्तिवाड़ के बढट सरूर निवासी दूसरा कर्मचारी है जिनकी सेवाएं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज समाप्त कर दी हैं। अलीगढ़ मुस्लिम वश्विविद्यालय से स्नातक जहीर 2012 में शिक्षक नियुक्त हुआ और सरकारी हाई स्कूल बुगराणा में तैनात थे। जहीर को सितंबर 2020 में कश्तिवाड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के तीन सक्रिय आतंकवादियों (मोहम्मद अमीन, रेयाज अहमद और मुदासिर अहमद) को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल सेंट्रल जेल, कोट भलवाल में बंद है। किश्तवाड़ में आतंकी गतिविधियों की जांच के दौरान जहीर की हार्डकोर ओजीडब्ल्यू के रूप में भूमिका सामने आई। एक शक्षिक के रूप में उनसे देश की सेवा की उम्मीद की गई थी, लेकिन उन्होंने अपने देश को धोखा दिया, पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ गठबंधन किया और आतंकी संगठनों, विशेष रूप से हिजबुल मुजाहिदीन को हथियार, गोला-बारूद और रसद सहायता प्रदान की। कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सूत्रों ने खुलासा किया कि अपनी गिरफ्तारी के बाद, जाहिर ने उन ठिकानों पर इनपुट दिए जहां हथियार और गोला-बारूद जमा किए गए थे और गुलजार अहमद और मोहम्मद हनीफ नामक दो अन्य ओजीडब्ल्यू की भी पहचान की थी।
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एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि जाहिर अब्बास पाकस्तिान में अपने संचालकों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी दे रहा था। वह आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और हथियार मुहैया करवा रहा था और उन्हें पकड़ से बचने और हमलों की योजना बनाने में भी सक्षम बना रहा था। एक ऐसे स्कूल में उसकी मौजूदगी, जहां उसके पास छात्रों को प्रभावित करने, उन्हें भड़काने और कट्टरपंथी बनाने की क्षमता थी, शिक्षा के सद्धिांतों का मौलिक रूप से खंडन करता है और राष्ट्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।
सूत्रों ने कहा कि आज भी गुप्त रूप से प्राप्त खुफिया जानकारी से पता चलता है कि जाहिर अब्बास जेल में कट्टरपंथी गतिविधियों में लप्ति है। उन्होंने आगे कहा कि ये दोनों मामले पाकिस्तान आईएसआई और पाक स्थित आतंकवादी संगठनों की व्यवस्था में गहरी घुसपैठ का स्पष्ट उदाहरण हैं और यह आतंकवादी संगठनों की आतंकी गतिविधियों को जारी रखने और भारतीय खजाने से वित्त सुरक्षित करने की भयावह रणनीति को भी उजागर करता है, जबकि वे व्यवस्था को भीतर से तहस-नहस कर रहे हैं।
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