Edited By Neetu Bala, Updated: 20 Dec, 2024 04:16 PM
घटना ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया और एक ही दिन में छह चिताओं का पुरमंडल क्षेत्र में अंतिम संस्कार किया गया।
जम्मू डेस्क : रिटायर डीएसपी केवल कृष्ण के घर आग लगने से मरने वाले दो बच्चों सहित छह लोगों का गुरुवार को जम्मू के पुरमंडल में अंतिम संस्कार किया गया। शहर के शहीदी चौक से पांच अर्थियां उठीं तो हर किसी का दिल दहल उठा और सब की आंखें नम हो गईं। यह खबर एक अत्यंत दुखद और दिल दहला देने वाली घटना की है, जिसमें मंगलवार देर रात कठुआ में शिवानगर इलाके में सेवानिवृत्त डीएसपी अवतार कृष्ण रैना के घर में लगी आग में उनके परिवार के छह सदस्यों की मौत हो गई। इस भीषण हादसे में अवतार कृष्ण, उनकी बेटी बरखा, दो पोते-पोती, गोद लिए बेटे और उनके छोटे नाती आद्विक की जान चली गई। घटना ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया और एक ही दिन में छह चिताओं का पुरमंडल क्षेत्र में अंतिम संस्कार किया गया। अर्थियां उठीं तो शहर के लोगों के मुंह से यही निकल रहा था कि भगवान किसी को ये दिन न दिखाए।
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यह हादसा रात दो बजे हुआ, जब घर में आग लगने से धुएं के कारण परिवार के सदस्य असहाय हो गए। बरखा ने अपनी मां और मामी को बाहर निकाला, लेकिन जब वह अंदर बच्चों और पिता को बचाने गईं, तो आग बहुत फैल चुकी थी, और वह बाहर नहीं निकल पाईं। इस दौरान घर के अन्य 4 लोग भी आग से घायल हो गए थे। इस हादसे ने न केवल परिवार बल्कि हर किसी को गहरे सदमे में डाल दिया। इतने बड़े हादसे की पहले से ही खबर होने के चलते स्थानीय लोगों सहित कठुआ और जम्मू से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। एक साथ छह चिताओं को अग्रिन दी गई तो हर किसी की आंख रोई। इस मौके पर विधायक चंद्रप्रकाश गंगा और विधायक डॉ. देवेंद्र मन्याल भी पहुंचे और शोक संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाया।
आर्थिक और भावनात्मक रूप से टूटे परिवार के सदस्यों का दुख असहनीय था, खासकर स्वर्णा रैना (अवतार कृष्ण की पत्नी), जिन्होंने अपनी बेटी बरखा को दुल्हन के रूप में सजाने के सपने देखे थे, और अब उसी बेटी का शव देख रही थीं। उनके लिए यह स्थिति बेहद कठिन थी, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी की शादी की तैयारियां पूरी कर रखी थीं, और अब वह अपने परिवार को खो चुकी थीं।
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हादसे ने जम्मू कश्मीर को गमगीन कर दिया, और पूरी राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार के लिए सहायता की घोषणाएं की है।
इस हादसे में एक दिल को झिझोड़ने वाली बात ने सभी के मन पर गहरा असर डाला, जब आद्विक के पिता संदीप ने अपने बेटे के शव को देखकर यह कहा, "देख बेटा, मैं आ गया हूं, अब तू भी उठ, घर चलें।" यह शब्द न केवल एक पिता के गहरे दर्द को प्रकट करते हैं, बल्कि इस दर्दनाक स्थिति में किसी भी माता-पिता की बेबसी और दुख को भी बयान करते हैं।
कुल मिलाकर, यह एक ऐसा हादसा था जिसने न केवल एक परिवार बल्कि पूरे समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया है।
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