जम्मू-कश्मीर सरकार का बड़ा Action... 103 कर्मचारियों की सेवाएं की समाप्त

Edited By Neetu Bala, Updated: 15 Dec, 2025 07:10 PM

jammu and kashmir government takes major action

यह फैसला सरकार द्वारा नियुक्त जांच कमेटी और एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB), जम्मू और कश्मीर की जांच के नतीजों के बाद लिया गया।

श्रीनगर  ( मीर आफताब ) :  जम्मू और कश्मीर सरकार ने फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज़ (F&ES) डिपार्टमेंट में साल 2020 के दौरान हुई भर्ती प्रक्रिया में बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद सख्त कदम उठाया है। जांच में भर्ती को फर्जी और गैर-कानूनी पाए जाने पर सरकार ने 103 फायरमैन की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं।

जम्मू और कश्मीर सरकार ने सोमवार को फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज़ (F&ES) डिपार्टमेंट में नियुक्त 103 फायरमैन की सर्विस खत्म कर दी, क्योंकि जांच में पाया गया कि 2020 में की गई भर्ती प्रक्रिया एक बड़ा फ्रॉड थी। ऑर्डर के मुताबिक, ये नियुक्तियां शुरू से ही गैर-कानूनी थीं, क्योंकि इन्हें परीक्षा के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और नतीजों में हेरफेर करके हासिल किया गया था।

यह फैसला सरकार द्वारा नियुक्त जांच कमेटी और एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB), जम्मू और कश्मीर की जांच के नतीजों के बाद लिया गया।

फायरमैन और फायरमैन ड्राइवरों की भर्ती में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा दिसंबर 2022 में बनाई गई जांच कमेटी ने फरवरी 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसकी सिफारिशों के आधार पर, ACB ने जनवरी 2025 में एक क्रिमिनल केस दर्ज किया और एक डिटेल्ड जांच की।  ऑर्डर के मुताबिक, ACB को OMR आंसर शीट से छेड़छाड़, स्कैन किए गए एग्जाम रिकॉर्ड में हेरफेर, मेरिट लिस्ट और डिजिटल डेटा में हेरफेर, और जानबूझकर कैंडिडेट्स को असल में मिले नंबरों से कहीं ज़्यादा नंबर देने के सबूत मिले।

जांच में क्रिमिनल साज़िश और कुछ बेनिफिशियरी द्वारा एडमिशन के मामले भी रिकॉर्ड किए गए। जांच में यह नतीजा निकला कि 106 कैंडिडेट्स को हेरफेर वाली भर्ती प्रक्रिया से फायदा हुआ था। हालांकि, तीन कैंडिडेट्स की अपॉइंटमेंट पहले ही डायरेक्टर, फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज ने जरूरी सर्विस फॉर्मैलिटीज पूरी न करने पर कैंसल कर दी थीं।

इसलिए, यह ऑर्डर बाकी 103 अपॉइंटेड लोगों पर लागू होता है। सरकार ने कहा कि सिविल सर्वेंट्स को मिलने वाले कॉन्स्टिट्यूशनल सेफगार्ड्स, जिसमें आर्टिकल 311(2) के तहत प्रोटेक्शन भी शामिल है, उन मामलों में लागू नहीं होते जहां अपॉइंटमेंट खुद गैर-कानूनी हों और फ्रॉड से हासिल किए गए हों।

ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया गया है, जिन्होंने माना है कि ऐसी अपॉइंटमेंट्स अमान्य हैं और उन्हें खत्म करने से पहले डिपार्टमेंटल जांच की जरूरत नहीं है। इसमें कहा गया कि गैर-कानूनी तरीके से नियुक्त लोगों के बने रहने से जनता का भरोसा और भर्ती प्रक्रिया की ईमानदारी कमज़ोर होगी।

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