Edited By Neetu Bala, Updated: 17 Nov, 2024 07:48 PM
विधानसभा में नैशनल कांफ्रैंस द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे पर पारित प्रस्ताव पर भी कांग्रेस अलग बयानबाजी कर रही है और नैशनल कांफ्रैंस अलग।
जम्मू : जम्मू कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन कर सत्ता हासिल करने वाली नैशनल कांफ्रैंस और कांग्रेस में दूरिया बढ़ने लगी हैं। सरकार गठन के बाद से दोनों दलों में आपसी समन्वय की बैठक तक नहीं हो पाई है। विधानसभा में नैशनल कांफ्रैंस द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे पर पारित प्रस्ताव पर भी कांग्रेस अलग बयानबाजी कर रही है और नैशनल कांफ्रैंस अलग।
पार्टी सूत्रों के अनुसार विधानसभा के चुनाव परिणाम में नैशनल कांफ्रैंस को 42 सीटों पर जीत मिली। वहीं कांग्रेस को केवल छह सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई। नर्दिलीय पांच विधायकों समेत आम आदमी पार्टी के विधायक ने भी नैशनल कांफ्रैंस को अपना समथर्न दिया। सरकार गठन के समय नैशनल कांफ्रैंस ने नर्दिलीय सतीश शर्मा को कैबिनेट मंत्री बना दिया, लेकिन चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली कांग्रेस ने सरकार में मंत्रीपद लेने से इंकार कर दिया।
दोनों दलों के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को जम्मू संभाग में केवल एक सीट हासिल हुई और यह बात गठबंधन सहयोगी नैशनल कांफ्रैंस की नाराजगी का बड़ा कारण है। जबकि नैशनल कांफ्रैंस को कश्मीर संभाग में एकतरफा जीत हासिल हुई है और जम्मू संभाग में जीत हासिल करने की जिम्मेदारी कांग्रेस को दी गई थी लेकिन पार्टी उसमें सफल नहीं हो पाई।
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नैशनल कांफ्रैंस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र के मुताबिक विधानसभा के पहले सत्र में ही जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे का प्रस्ताव पारित करवा लिया। नैशनल कांफ्रैंस यहां इसको जन आकांक्षाओं को पूरा करना बता रही है लेकिन कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि विशेष दर्जे का प्रस्ताव राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर है और इसका अनुच्छेद 370 से कोई वास्ता नहीं है। यही बातें दोनों दलों में बढ़ रही दूरी का कारण हैं।
कांग्रेस सरकार से अलग भी हो जाए तो भी खतरा नहीं
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस अगर नैशनल कांफ्रैस की सरकार से अलग भी हो जाए तो भी सरकार के अल्पमत में आने जैसा कोई खतरा नहीं है। 90 सदस्यीय विधानसभा में नैशनल कांफ्रैंस के 42 सदस्य है। वहीं पांच नर्दिलीय और एक आम आदमी पार्टी के विधायक को मिलाकर सरकार के पास 48 विधायकों का समथर्न रहेगा। जबकि सरकार को चलाने के लिए विधानसभा में 46 सदस्यों की जरूरत है।
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