कश्मीर घाटी में 18 सीटों पर जमानत जब्त होने के बावजूद 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ा BJP का वोट शेयर

Edited By Neetu Bala, Updated: 14 Oct, 2024 01:35 PM

despite losing deposits in 18 seats in kashmir valley

कश्मीर में भी पार्टी के वोट शेयर में 5 फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है।

जम्मू-कश्मीर डैस्क: जम्मू-कश्मीर में भले ही भाजपा सरकार नहीं बना पाई, लेकिन आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने वोट शेयर में बढ़ौतरी की है। भाजपा का वोट शेयर 22 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी से ज्यादा हो गया है। वहीं पार्टी की सीटों की संख्या 25 से बढ़कर 29 हो गई है।
जम्मू में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन कर कांग्रेस को शिकस्त दी, लेकिन घाटी में उसने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है, लेकिन कश्मीर में भी पार्टी के वोट शेयर में 5 फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है।

जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बांटने का आक्रोश

जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के कारण लोगों में आक्रोश था। इसके बावजूद पार्टी ने चुनाव लड़ने वाली सीटों को चुनने में काफी सावधानी बरती है। इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की कश्मीर में उम्मीदवार न उतारने के पीछे भी यही सोच थी। पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले शर्मिंदगी से बचने का विकल्प चुना था। विधानसभा चुनाव में पार्टी का सबसे बढ़िया प्रदर्शन गुरेज और हब्बा कदल सीट पर रहा था। यहां पर वह दूसरे नंबर पर आई है।

साल 2014 में भाजपा ने कश्मीर में 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। इस दौरान उसे भाजपा प्रत्याशी वाले सभी निर्वाचन क्षेत्रों में 2.5 फीसदी वोट मिले थे। हाल के विधानसभा चुनावों में उसने लगभग आधी संख्या यानी 19 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन इन सीटों पर उसका वोट शेयर बढ़कर 5.8 फीसदी हो गया।

गुरेज में ही भाजपा बचा पाई जमानत

पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर मौजूद 21,000 से ज्यादा वोटर्स वाला गुरेज एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र भी था जहां भाजपा ने अपनी जमानत नहीं खोई। 2014 में पार्टी ने उत्तरी कश्मीर सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था। इस बार भाजपा ने गुरेज में नैशनल कॉन्फ्रैंस को कड़ी चुनौती दी। इस सीट पर चुनाव लड़ रहे भाजपा उम्मीदवार फकीर मोहम्मद खान और एन.सी. के नजीर अहमद खान पुराने विरोधी हैं और दोनों ने अतीत में मामूली अंतर से जीत हासिल की थी।

श्रीनगर के हब्बा कदल विधानसभा सीट से भाजपा दूसरे नंबर पर रही, लेकिन उसे अपनी जमानत राशि गंवानी पड़ी। यहां पर उसे केवल 2,899 वोट मिले। इस निर्वाचन क्षेत्र में 16 उम्मीदवारों में से कई कश्मीरी पंडित थे। बीजेपी ने भी पंडित अशोक कुमार भट को मैदान में उतारा था। यह एन.सी. के प्रत्याशी शमीम फिरदौस से हार गए। वह सिर्फ 12,437 वोट पाकर जीतीं। यह इस बात को दिखाता है कि 16 उम्मीदवारों के बीच में वोट किस तरह बंटे थे।

बिजबेहरा और अनंतनाग ईस्ट में भाजपा तीसरे नंबर पर

2014 में भी भाजपा हब्बा कदल में दूसरे नंबर पर रही थी, एन.सी. के बाद और उसे 22 फीसदी वोट मिले थे। यह अकेला निर्वाचन क्षेत्र था जहां बी.जे.पी. ने तब अपनी जमानत नहीं गंवाई । हालांकि, 2014 और 2024 दोनों में हब्बा कदल में बहुत कम वोटिंग हुई थी। यह करीब 20-21 फीसदी ही थी। बिजबेहरा और अनंतनाग ईस्ट में भाजपा तीसरे नंबर पर रही।

शोपियां और चन्नपोरा में चौथे नंबर पर रही, जबकि आठ निर्वाचन क्षेत्रों में यह पांचवें नंबर पर रही। बांदीपुरा में यह 1,000 से कुछ ज्यादा वोटों के साथ 12वें नंबर पर रही, जबकि श्रीनगर के ईदगाह में इसके उम्मीदवार को सभी भाजपा उम्मीदवारों में सबसे कम वोट (479) मिले।

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