Jammu Kashmir में शिक्षा संस्थानों को लेकर बड़ा खुलासा, AISHE रिपोर्ट ने खोली पोल

Edited By Sunita sarangal, Updated: 22 Oct, 2024 12:53 PM

aishe report for jammu kashmir educational institutions

नई शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) 2020-21 के तहत कौशल आधारित और विशेष शिक्षा पर जोर देने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में विशेष शिक्षा संस्थानों की स्थापना को लेकर बहुत कम प्रगति हुई है।

जम्मू कश्मीर: नई शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) 2020-21 के तहत कौशल आधारित और विशेष शिक्षा पर जोर देने के बावजूद जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में विशेष शिक्षा संस्थानों की स्थापना को लेकर बहुत कम प्रगति हुई है। ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (ए.आई.एस.एच.ई.) 2020-21 की रिपोर्ट में इस केंद्र शासित प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत लक्ष्यों और वास्तविकता के बीच की खाई को उजागर किया गया है।

यह भी पढ़ें :  कश्मीर प्रशासन ने सर्दियों के लिए कसी कमर, दिए ये निर्देश

इस नीति के तहत सरकार का उद्देश्य विभिन्न कौशल और विशेष क्षेत्रों में उच्च शिक्षा का विस्तार करना था, ताकि छात्रों को आधुनिक जरूरतों और रोजगार के अवसरों के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिल सके, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में न केवल इस दिशा में संस्थानों की भारी कमी है, बल्कि कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक भी विशेष विश्वविद्यालय या कॉलेज मौजूद नहीं है।

विश्वविद्यालयों की मौजूदा स्थिति

ए.आई.एस.एच.ई. 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में कुल 15 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से 8 सामान्य विषयों में शिक्षा प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ ही विश्वविद्यालय कृषि, तकनीकी, प्रबंधन, चिकित्सा और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि शिक्षा, फाइन आर्ट्स, विधि, सांस्कृतिक अध्ययन, खेल और योग जैसी महत्वपूर्ण और उभरती हुई विशेषज्ञताओं में एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। इन विषयों में विशेषज्ञता प्रदान करने वाले विश्वविद्यालयों की अनुपस्थिति न केवल छात्रों के लिए सीमित विकल्प पैदा करती है, बल्कि राज्य के शैक्षिक और सामाजिक विकास को भी प्रभावित करती है।

यह भी पढ़ें :  Gagangir Terror Attack : 'मुझे गोली लग गई है'... मरने से पहले पंजाब के गुरमीत ने की पत्नी से आखिरी बातचीत

कॉलेजों की तस्वीर भी निराशाजनक

जम्मू-कश्मीर के कॉलेजों की स्थिति भी कुछ खास अलग नहीं है। केंद्र शासित प्रदेश में कुल 348 कॉलेज हैं, लेकिन अधिकांश कॉलेजों में केवल सामान्य धारा के पाठ्यक्रम ही चलाए जा रहे हैं। इनमें से कुछ ही कॉलेज ऐसे हैं जो कृषि, इंजीनियरिंग और नर्सिंग जैसे विशेष क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कृषि से जुड़े तीन, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी से जुड़े 8, और नर्सिंग से जुड़े 23 कॉलेज ही इस पूरे क्षेत्र में विशेष शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

वहीं आर्किटैक्चर, फाइन आर्ट्स, होटल मैनेजमैंट, पत्रकारिता, गृह विज्ञान और सोशल वर्क जैसे महत्वपूर्ण और उभरते हुए क्षेत्रों में एक भी विशेष कॉलेज मौजूद नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर में विशेष शिक्षा के विकास के लिए आवश्यक संस्थागत आधार का अभाव है।

यह भी पढ़ें :  Jammu Kashmir Breaking : सेना ने पाकिस्तानी ड्रोन पर की Firing, Search Operation जारी

नाममात्र का निजी क्षेत्र योगदान

जम्मू-कश्मीर में सरकारी कॉलेजों का वर्चस्व है, जहां कुल 206,616 छात्रों का नामांकन है, जिसमें से 178,076 छात्र सरकारी कॉलेजों में हैं। हालांकि, निजी कॉलेजों की स्थिति कमजोर है, जहां सिर्फ 28,540 छात्रों का नामांकन है। निजी क्षेत्र द्वारा शिक्षा में योगदान देने की कमी भी इस क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति को और कमजोर करती है।

शिक्षा नीति और जमीनी हकीकत में अंतर

ए.आई.एस.एच.ई. रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से बताती है कि एन.ई.पी. 2020-21 के उद्देश्यों और जम्मू-कश्मीर में उच्च शिक्षा के विकास के बीच अभी भी एक लंबा रास्ता तय किया जाना बाकी है। कौशल आधारित और विशेष शिक्षा के लिए आवश्यक संस्थानों की कमी न केवल छात्रों को सीमित कर रही है, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश में रोजगार के अवसरों और आधुनिक उद्योगों की मांगों को पूरा करने में भी बाधा उत्पन्न कर रही है।

यह भी पढ़ें :  Ganderbal Terror Attack को लेकर बोले LG Sinha, आतंकियों को लेकर किया यह खुलासा

विशेष शिक्षा की आवश्यकता

विशेष शिक्षा का महत्व आज के दौर में बेहद जरूरी है। देश और दुनिया में जिस तेजी से उद्योग और तकनीकी क्षेत्र में परिवर्तन हो रहे हैं, उसके लिए आवश्यक है कि छात्रों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ विशेष और कौशल आधारित शिक्षा प्रदान की जाए। यह न केवल उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करेगा, बल्कि राष्ट्र के आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगा, लेकिन जम्मू-कश्मीर में विशेष शिक्षा संस्थानों की भारी कमी और मौजूदा संस्थानों का सीमित क्षेत्रीय फोकस, एन.ई.पी. के लक्ष्यों की पूर्ति में बड़ी बाधा है। जमीनी स्तर पर नीति को सख्ती से लागू करने और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विविधता लाने की जरूरत है, ताकि जम्मू-कश्मीर के युवा छात्रों को भी वे अवसर प्राप्त हों जो अन्य राज्यों में उपलब्ध हैं। नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जम्मू-कश्मीर में सरकार को विशेष शिक्षा संस्थानों की स्थापना पर जोर देना होगा।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!