आतंकियों के निशाने पर आगामी धार्मिक यात्राएं, घात लगाकर कर रहे हमला

Edited By Sunita sarangal, Updated: 11 Jun, 2024 02:50 PM

upcoming religious pilgrimages are target of terrorists

इस बार आतंकवादियों ने सेना की बजाय श्रद्धालुओं को अपना निशाना बनाया ताकि पूरे विश्व का ध्यान खींचा जा सके।

जम्मू(उदय/धनुज): रियासी जिले के पौनी क्षेत्र के चंडी मोड़ में शिवखोड़ी से लौट रही श्रद्धालुओं की बस पर किए गए हमले से स्पष्ट है कि आतंकवादी घात लगा कर हमला करने के बाद स्थान बदल रहे हैं। जिस ढंग से पिछले 2 वर्ष में आतंकवादियों ने पुंछ, राजौरी और रियासी जिले में आतंकी हमलों को अंजाम दिया है, उससे स्पष्ट है कि आतंकियों ने एक ही रणनीति के तहत हमलों को अंजाम दिया और हमले के स्थान को पहले से चिन्हित किया था।

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इस बार आतंकवादियों ने सेना की बजाय श्रद्धालुओं को अपना निशाना बनाया ताकि पूरे विश्व का ध्यान खींचा जा सके। आगामी दिनों में वार्षिक अमरनाथ यात्रा, बूढ़ा अमरनाथ यात्रा, कौसर नाग यात्रा समेत अन्य धार्मिक यात्राएं शुरू होने वाली हैं जोकि आतंकियों के निशाने पर रह सकती हैं। अगर हमलों की रणनीति पर गौर किया जाए तो इन सभी हमलों में यह समानता रही कि हमले शाम के समय अंधेरा होने से पहले किए गए ताकि आतंकी हमले को अंजाम देकर मौके से फरार होने में कामयाब हो सकें।

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आतंकियों ने हमले का समय ऐसा चुना जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की शपथ लेनी थी। सभी हमलों को पी.ए.एफ.एफ. ने अंजाम दिया जिनमें दन्नाशाहस्तार को छोड़ कर अन्य 2 हमलों में भारतीय सैनिकों के शवों के साथ बर्बरता भी की गई थी। बिना किसी आतंकी हिंसा के सुरक्षित लोकसभा चुनावों के ठीक बाद बौखलाए आतंकियों ने श्रद्धालुओं को अपना निशाना बनाया।

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बर्बरता से दहशत फैला रहे आतंकी

लश्कर के छदम संगठन पी.ए.एफ.एफ. में दुर्दांत आतंकी शामिल हैं जिन्हें विशेष तौर पर घात लगाकर हमला करके फरार होने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। ये आतंकी 5 से 7 के समूह में शामिल होकर अत्याधुनिक हथियारों के अलावा तेजधार हथियार हमले के पीड़ित सैनिकों के शवों के साथ बर्बरता करने में इस्तेमाल करते हैं।

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रियासी हमले में भी आतंकवादियों की बर्बरता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब बस खाई में गिर रही थी तो पीछे से उन्होंने गोलियां चलाईं ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु मारे जाएं।

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सुरक्षा एजैंसियों के लिए चुनौती

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अभी भी चुनौती है। जिस ढंग से आतंकवाद से मुक्त हुए राजौरी, रियासी एवं पुंछ जिले में आतंकवादियों ने अपने पांव फिर पसारे हैं और जमीनी स्तर पर ओवर ग्राउंड वर्कर से मदद लेकर आतंकी हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है उससे सुरक्षा एजैंसियों के लिए भी चुनौती बढ़ी है। जिस ढंग से आतंकी बार-बार हमले कर रहे हैं, उससे सुरक्षा एजैंसियों की कार्यप्रणाली पर भी लोगों ने प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है।

प्रमुख घटनाएं

पुंछ, राजौरी एवं रियासी जिले में हमले

-1 जनवरी, 2023 को राजौरी जिले के ढांगरी में आतंकी हमला, 2 बच्चों समेत 6 की मौत।

-20 अप्रैल, 2023 को आतंकियों ने पुंछ के भाटाधूडिया, सन्ग्योट भारतीय सेना की टुकड़ी पर हमला कर 5 जवान शहीद किए, इफ्तार पार्टी का सामान लेकर जा रहे थे सैनिक।

-2 अक्तूबर, 2023 को राजौरी जिले के कालाकोट के बरोह-नारला त्रियाठ में आतंकी हमले में 3 जवान घायल हुए।

-20 दिसम्बर, 2023 को आतंकियों का बफलियाज के देहरागली क्षेत्र में घात लगाकर हमला, 5 जवान शहीद।

- 4 मई, 2024 को आतंकियों ने पुंछ जिले के दन्नाशाहस्तार क्षेत्र में घात लगाकर भारतीय वायुसेना के वाहन पर हमला किया, एक जवान शहीद, 5 घायल।

-28 अप्रैल, 2024 को उधमपुर जिले के बसंतगढ़ में गांव सुरक्षा समिति सदस्य की हत्या, आतंकी फरार।

-1 मई, 2024 को कठुआ जिले के बनी के ढग्गर में संदिग्ध दिखे, फरार

-14 मई, 2024 को कठुआ जिले के जत्थाना में संदिग्ध दिखने पर चलाया तलाशी अभियान।

-19 मई, 2024 को कठुआ जिले के कसोरी गांव में संदिग्ध दिखे, फरार

-7 जून, 2024 को जम्मू के सिद्धड़ा में संदिग्ध दिखने पर चलाया तलाशी अभियान

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