Edited By Sunita sarangal, Updated: 31 Jul, 2024 11:50 AM
यह झील खासकर जलीय पक्षियों का सबसे बड़ा प्राकृतिक निवास स्थान है क्योंकि यह कश्मीर घाटी की सबसे गहरी झील है।
जम्मू-कश्मीर: कश्मीर यूनिवर्सिटी द्वारा एक स्टडी की गई है। इस स्टडी में कश्मीर की झीलों में सबसे गहरी और सबसे सुंदर कही जाने वाली मानसबल झील में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
जानकारी के अनुसार कश्मीर यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग और पंजाब के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ने मिलकर 2 सालों तक झील की स्टडी की। इस दौरान उन्होंने पाया कि मानसबल झील के तलछट और पानी के नमूनों में काफी ज्यादा मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। स्टडी में खुलासा हुआ कि मानसबल झील के आसपास के क्षेत्रों में बिना योजना के मानव बस्तियों के बनने के कारण उसमें भारी मात्रा में धातु प्रदूषण हो रहा है।
यह भी पढ़ें : कश्मीर के इस जिले में जंगली जानवर का खौफ, महिला पर हमला कर उतारा मौत के घाट
स्टडी में पाया गया कि भारी धातुओं के स्तर से पता चलता है कि मानसबल झील के तलछट सीसा धातु (लैड) (Pb) जैसी धातुओं के साथ ज्यादा दूषित और तांबा (Cu) और कोबाल्ट (Co) के साथ मध्यम तौर पर दूषित है। विशेषज्ञों के अनुसार सीसे की थोड़ी मात्रा भी गंभीर दुष्प्रभाव डालती है। ऐसे में झील के पानी में लैड धातु का भारी मात्रा में पाया जाना काफी गंभीर बात है। स्टडी में सामने आया है कि झील ज्यादातर लगातार मानवीय गतिविधियों वाले क्षेत्रों के निकट वाली जगह पर दूषित हो रही है।
स्टडी के प्रमुख जांचकर्ता अर्शिद जहांगीर ने बताया कि तुलना करने से पता चला कि मानसबल झील में अन्य हिमालयी झीलों जैसे कि रिवालसर, रेणुका, अंचार और पैंगोंग त्सो की तुलना में माइक्रोप्लास्टिक्स का प्रदूषण अधिक है। बता दें कि यह झील अपने स्वच्छ जल के लिए जानी जाती है और कमल के पौधों की वृद्धि के लिए भी प्रसिद्ध है। झील में कमल के पौधे की जड़ों को काटा जाता है और बड़े पैमाने पर बेचा जाता है।
यह भी पढ़ें : जम्मू पुलिस ने बाइक चोर गिरोह का किया भंडाफोड़, 4 को गिरफ्तार कर बरामद की लाखों की बाइकें
जहांगीर के अनुसार इन अत्यधिक प्रदूषित कणों के लंबे समय तक सेवन से संभावित रूप से जीवित जीवों और मनुष्यों में जैव आवर्धन के कारण लंबे समय तक जहरीले प्रभाव पैदा हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि झील के पानी में से इस माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा और इस प्रदूषण को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही वेस्ट मेनेजमेंट जैसे उपायों को लोगों को समझाना चाहिए ताकि झीलों में माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रदूषण को कम किया जा सके।
स्टडी में यह भी पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक्स की सतह पर भारी धातु मौजूद हैं। वहीं राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान 2.0 के तहत मानसबल झील के नमूनों में भारी मात्रा में प्रदूषित कण पाए गए हैं जिनकी इंडैक्स वेल्यू 10 से भी नीचे है जो कि खतरे के लेवल 1 को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि प्रदूषण जो है वो बेसलाइन लेवल (आधारभूत स्तर) तक चला गया है। जांच के लिए भेजी गईं 11 धातुओं में से 7 को पर्यावरण संरक्षण एजेंसी की प्राथमिकता वाले प्रदूषक सूची में शामिल किया गया है। माइक्रोप्लास्टिक्स की सतह पर जहरीले प्रदूषकों की मौजूदगी के कारण इस मीठे पानी में रहने वाले जीवों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। यह झील खासकर जलीय पक्षियों का सबसे बड़ा प्राकृतिक निवास स्थान है क्योंकि यह कश्मीर घाटी की सबसे गहरी झील है।