Edited By Sunita sarangal, Updated: 15 Apr, 2025 10:58 AM

इसके अलावा इस रेल रूट पर कुछ और टनल भी हैं जिनमें से रेल गुजरेगी।
जम्मू डेस्क : कश्मीर से श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा तक जल्द ही ट्रेन शुरु होने जा रही है। ऐसे में यह सफर इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। इसी दौरान रेल जिस रास्ते से गुजरेगी वह भी यादगार है। जम्मू-कश्मीर में जहां हिमालय की गगन चूमती ऊंची घाटियां है और घाटियों में प्राकृतिक सुंदरता फुसफुसाती है, वहीं भारतयी रेलवे का सपना अब उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के रूप में साकार हो चुका है।
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इस 272 किलोमीटर लंबे रेल रूट में 119 किलमोटीर की 36 सुरंगें बनाई गई हैं जो न केवल भौगोलिक बाधाओं को पार करती है बल्कि भविष्य की तेज रफ्तार की भी राह खोलती है।
भारत की सबसे लंबी सुरंग टी–50 (यू.एस.बी.आर.एल. सुरंग 50) जिसे सुम्बड-खड़ी सैक्शन टनल भी कहा जाता है। इसकी लंबाई 12.775 किलोमीटर है। यह टनल कश्मीर घाटी को देश से जोड़ने वाली जीवन रेखा है। खतरनाक व कठिन भौगोलिक परिस्थितयों में 3 अलग-अलग बिंदुओं से खुदाई कर इसे समय पहले पूरा किया गया है। यह बनिहाल-काजीगुंड रेल सेक्शन का एक हिस्सा है।
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इसके अलावा इस रेल रूट पर कुछ और टनल भी हैं जिनमें से रेल गुजरेगी। जैसे कि टी-80 पीर पंजाल रेंज के नीचे बनी यह सुरंग साल भर जम्मू और कश्मीर को जोड़ती है और व्यापार-यात्रा दोनों के लिए बेहद अहम है। टी-34 भारत के पहले केबल-स्टे ब्रिज से जुड़ी यह टनल सुरक्षा और संचालन की दृष्टि से बेहतरीन उदाहरण है जबकि टी-33 त्रिकुटा की छाया में बनी यह सुरंग इंजीनियरों के लिए सबसे कठिन रही जिसे आई सिस्टम तकनीक से पूरा किया गया।
टी-23 बैलास्ट-लैस ट्रैक के साथ बनी यह सुरंग कई चुनौतियों से जूझने के बाद पूरी हुई। टी-1 और टी-25 सुरंगों में मिट्टी धंसने और भूमिगत जलधाराओं के कारण निर्माण कार्य वर्षों तक रूका रहा लेकिन आधुनिक तकनीकों और इंजीनियरिंग कौशल से इन्हें सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यानि यू.एस.बी.आर.एल. परियोजना की ये सुरंगें सिर्फ रास्ते नहीं है ये भारत के दृढ़ संकल्प, नवाचार और तकनीकी उतकृष्टता की कहानियां हैं। ये ट्रेनों की आवाज से गूंजती हुई सुरंगें बताती हैं कि अगर इरादा मजबूत हो तो हिमालय भी राह देने लगता है।
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